कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ जमीन से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में केस चलेगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने शनिवार (17 अगस्त) को इसकी आधिकारिक अनुमति दे दी है। सिद्धारमैया पर मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की जमीन के मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप है।
26 जुलाई को राज्यपाल ने नोटिस जारी कर CM से 7 दिन में जवाब मांगा था। 1 अगस्त को कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल को नोटिस वापस लेने की सलाह दी और उन पर संवैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया।
MUDA घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है। एक्टिविस्ट टी. जे. अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा का आरोप है कि CM ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए।
MUDA केस क्या है
साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत अधिग्रहित भूमि मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।
1992 में MUDA ने इस जमीन को डीनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया था। 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया। यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई।
सिद्धारमैया की पत्नी की 3 एकड़ जमीन से जुड़ा है MUDA घोटाला
दरअसल, सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसुरु जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी। MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था।
हालांकि इस जमीन के बदले 2022 में बसवराज बोम्मई सरकार ने पार्वती को साउथ मैसुरु के पॉश इलाके में 14 साइट्स दिए थे। इनका 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,283 वर्ग फीट एरिया था।
सिद्धारमैया पर क्या-क्या आरोप लगे हैं