नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने नीट अंडरग्रेजुएट और पीजी सीटों में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई चाहती है। इस संबंध में सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया है।
केंद्र की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में 6 जनवरी के बदले तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर कहा कि वे जल्द सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना से सलाह लेंगे। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने भी अदालत से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण के लिए वार्षिक आय की सीमा 8 लाख रुपए करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने नीट पीजी काउंसलिंग को रोक दिया था और इस संबंध में एक पैनल का गठन किया था।
ईडब्ल्यूएस कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। पैनल की सिफारिशों को मानते हुए सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में 1 जनवरी को हलफनामा दायर किया था। इसकी सुनवाई 6 जनवरी को होनी थी लेकिन सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ से अनुरोध किया है कि इस संबंध में 4 जनवरी को ही सुनवाई हो। मेहता ने कहा कि बहुत जल्दी जरूरी है। कृपया कल ही इसकी सुनवाई करें।
जस्टिस चंद्रचूड़ मेहता के अनुरोध पर सहमत थे लेकिन उन्होंने कहा कि इसके लिए दो अन्य सदस्य जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ से भी बात करनी होगी। हालांकि इतने कम समय में पीठ का गठन सिर्फ मुख्य न्यायधीश ही कर सकते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा मैं आपके अनुरोध को चीफ जस्टिस तक पहुंचा दूंगा लेकिन तब तक इस मामले को मंगलवार के बिजनेस में शामिल नहीं किया जा सकता। तुषार मेहता ने डॉक्टरों के हालिया हड़ताल का हवाला देते हुए कहा कि इस सुनवाई की तत्काल आवश्यकता है। सरकार ने उन्हें मामले को शीघ्र निपटाने का आश्वासन दिया है।
दरअसल, नीट के ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने 29 जुलाई की केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ संवैधानिक और वैधानिक चुनौती दी है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार की अधिसूचना आरक्षण की तय सीमा 50 प्रतिशत का उल्लंघन करती है।
इसके अलावा ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 8 लाख की वार्षिक आय सीमा को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी समान किया जाए। सरकार ने ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आरक्षण के लिए आय की सीमा निर्धारित करने हेतु जिस पैनल का गठन किया था उसने 8 लाख की अधिकतम सीमा को स्वीकार कर लिया था। इसके अलावा 5 एकड़ अधिकतम जमीन की सीमा को भी उचित ठहराया था। हालांकि पैनल ने आवसीय संपत्ति को इस सीमा से बाहर रखा था। केंद्र सरकार ने 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि नीट पीजी की काउंसलिंग प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं होगी जब तक केंद्र सरकार ईडब्ल्यूएस के लिए 8 लाख रुपए की सीमा पर दोबारा फैसला नहीं ले लेती है। सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने कहा था कि वह ईडब्यूएस के लिए आठ लाख रुपये की जो सीमा तय कर रखी है उस बारे में दोबारा विचार करेगा और चार सप्ताह में दोबारा विचार कर फैसला लिया जाएगा, तब तक नीट की काउंसलिंग रुकी रहेगी। इसी मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी की तारीख सुनिश्चित की थी।