पटना । समाज सुधार यात्रा के क्रम में 13 जनवरी को भागलपुर आ रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिले की 10 जीविका दीदियों की सक्सेस स्टोरी सुनाई जाएगी। सीएम को जीविका द्वारा चयनित दीदियों का दुख, संघर्ष, पीड़ा से उबरने व सफल होने की कहानी बतायी जाएगी। इनमें छह महिलाएं गंगा पार क्षेत्र की रहने वाली हैं। इनमें कई ने लॉकडाउन में बर्बाद हुई गृहस्थी को जीविका के सहयोग से रास्ते पर लाया।
इसका वर्णन उन्हीं की जुबानी बतायी जाएगी। खरीक बाजार की दुर्गा एसएचजी की उर्मिला, लक्ष्मी एसएचजी की शांति व पार्वती एसएचजी की रानी गांव में मजदूरी करती थीं। पूरे दिन गेहूं काटने पर उसे 5-6 किलो गेहूं मिलता था, जबकि मकई काटने पर 15-16 किलो। इसे बेचकर वह चावल खरीदती थी। वह ग्राम संगठन में 10 रुपये सप्ताह जमा करने लगी। खाद्य सुरक्षा निधि से एक लाख मिलने के बाद संगठन में चावल की खरीद हुई। वह अनाज के बदले चावल एकत्र करने लगीं।
लॉकडाउन में 2900 किलो चावल की खरीद हुई। उनके एसएचजी में चावल की डिमांड बढ़ गई और इससे जुड़ी सभी दीदियों को काफी मदद मिली। अब तेल खरीदने की योजना बनाई गई है। सिंघिया मकनपुर की ललिता देवी गायत्री एसएचजी से जुड़ी। वह हरेक सप्ताह बैठक में जाने लगीं और 10 रुपये जमा करने लगी। बाद में एक रुपये ब्याज दर पर लोन लेकर दुकान खोली और परिवार को संभालने लगी।
राखी एसएचजी से जुड़ी मड़वा पूरब की इंदु देवी ने लॉकडाउन में 50 हजार रुपये लोन लेकर बरी का व्यवसाय किया और गृहस्थी संभाली। बेटे के इलाज और पति के व्यवसाय के लिए भी जीविका एसएचजी से लोन लिया। कमरगंज की काजल ने उपकार जीविका महिला ग्राम संगठन से जुड़कर लोन लिया। दुकान चलाई और परिवार के लोगों को बीमारी में मदद की। सबौर के फतेहपुर की कंचन भूमिका जीविका से जुड़ी और जीविका ग्रामीण बाजार से सामान लेकर दुकान चलाने लगीं। उसे रोज 400 रुपये का मुनाफा हो रहा है।