गुना । पवन ओझा अपनी पत्नि ओर दो बच्चों के साथ ब्रजविहार कालोनी, गुना में रहते हैं। उनका बडा़ बेटा 5 वर्ष का है। वह मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते है। शिवांश का जन्म उमरी के प्रा.स्वा.केन्द्र में हुआ था। वह जन्म से थोडा कमजोर था। जब वह 18 महीने का हुआ पवन ओझा ने शिवांश को डॉ. प्रीति दुबे शिशु रोग विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय गुना को दिखाया।
उनके द्वारा बताया गया कि बच्चा अन्य बच्चों की तरह सामान्य नही है और उसकी एम.आर.आई जाँच करायी। एम.आर.आई से पता चला कि बच्चे की सुनने की क्षमता का विकास नही हुआ है और उनके द्वारा बच्चे को डॉ. वीरेन्द्र रघुवंशी नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय के पास रेफर किया।
डॉ. रघुवंशी ने प्रारंभिक जाँच के बाद बच्चे को डी.ई.आई.सी में जिला शीघ्र हस्तक्षेप प्रबंधक श्रीमति विनीता सोनी के पास राष्ट्रीय बाल स्वा. कार्यक्रम के अंतर्गत निःशुल्क उपचार हेतु भेजा। यहां पर ओडियोलोजिस्ट दीपचंद सैनी द्वारा बच्चे की ओडियोमेट्री जाँच की गई। इसके बाद विनीता सोनी द्वारा शिवांश के पिता एवं उसकी माता को समझाया गया कि आपके बच्चे को बिल्कुल भी सुनाई नही देता इसके लिए एक बडी़ जाँच होगी।
जिसको बेराटेस्ट बोलते है यह आरबीएस के अंतर्गत मान्यता प्राप्त अस्पतालों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर में निःशुल्क करायी जाती है। आपको जहां भी सुविधा हो वहां का रेफरल लेटर बना देते है। पवन ओझा को भोपाल में जाना सुविधाजनक लगा। भोपाल के हाजेला हॉस्पिटल में बच्चे की निःशुल्क सीटी स्केन, एम.आर.आई, बेराटेस्ट एवं अन्य जाँचें की गई और जाँचो के आधार पर ऑपरेशन के लिए 6 लाख 50 हजार रूपये का स्टीमेट दिया गया।
राष्ट्रीय बाल स्वा. कार्यक्रम
के अंतर्गत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी.बुनकर
की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा बच्चे की कॉक्लियर इम्पालांट सर्जरी हेतु 6 लाख 50 हजार
रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई। शिवांश के पिता पवन ओझा ने बताया कि इस ऑपरेशन को लेकर उसके मन में बहुत तरह-तरह के विचार आ रहे थे। उसके गांव के लोगों का कहना था कि तुम्हारा बच्चा गूंगा, बहरा है।
यह तो भगवान की देन है।
यह कभी अच्छा नही हो सकता इसका कोई ईलाज नही है। ऐसी बातें सुनकर उसकी पत्नि और वह अपने बच्चें के ठीक होने की उम्मीद छोड चुके थे। परंतु श्रीमति विनीता सोनी ने उनके मन की शंकाओं को सुना तो उनको बताया कि आपके बच्चे का उपचार संभव है बच्चे का एक छोटा सा ऑपरेशन होता है। जिसमें कान की कॉक्लियरनामक नस के अंदर एक छोटा सा डिवाइस लगाया जाता है जिसे कॉक्लियर इम्पालांट सर्जरी कहते है औ ऑपरेशन के बाद एक प्रोसेसर कान के बाहर लगाया जाता है।
जिसकी तरंगों से बच्चा सुनता है। बच्चे की संबंधित चिकित्सा संस्था द्वारा 1 वर्ष तक
एवीटी (स्पीच थैरेपी) नि:शुल्क की जाती है। इसके बाद डी.ई.आई.सी में ऑडियोलोजिस्ट द्वारा प्रतिदिन स्पीच थैरेपी प्रदान की जाती है। आप अपने बच्चे के साथ जितनी मेहनत करोगें, बच्चा उतनी
जल्दी सामान्य बच्चों की तरह बोलने और सुनने लगेगा।
आज जनसुनवाई में पवन ओझा भावुक होकर बोलते है कि कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए. मेरे लिए
भगवान के रूप में आये है। जिनके कारण मेरा बच्चा उपचार के बाद बोल औ सुन सकेगा। मैं कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए. का बहुत-बहुत
आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होने
मेरे बच्चे के उपचार के लिए इतनी बडी राशि की स्वीकृति प्रदान की, जिसकी कल्पना मात्र भी मेरे लिए असंभव थी।