मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि रातापानी अभयारण्य के संबंध में विकास कार्यों को प्राथमिकता से पूरा किया जाये। उन्होंने कहा कि वन्य क्षेत्रों में पुरातात्विक महत्व के स्मारकों एवं सम्पदा को सुरक्षित एवं संरक्षित किया जाये। पुरातत्व विभाग वन क्षेत्र में फैली हुई पुरासम्पदा को वन विभाग की सहायता से संरक्षित करे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की 27वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल एवं राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के सलाहकार सदस्य भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन एवं पुरातत्व विभाग के साथ समन्वय कर उचित स्थानों पर संरक्षित करने के निर्देश दिये। दोनों विभाग कार्ययोजना बनाकर रायसेन एवं अन्य वन्य क्षेत्रों में ऐसे स्थानों को चिन्हित करें एवं जो सम्पदा स्थायी हो उसे उसी स्थान पर और चल सम्पदा को पुरातात्विक महत्व के स्थान पर सुरक्षित किया जाये।
बैठक में बताया गया कि रातापानी अभयारण्य को रातापानी टाइगर रिजर्व बनाए जाने के संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। एक अन्य प्रस्ताव में रातापानी के बमनई - जीपी रोड से देलावाड़ी तक मार्ग के किनारे राइट ऑफ-वे में फाइबर ऑप्टिकल बिछाए जाने हेतु 0.090 हेक्टेयर वन भूमि भारत संचार निगम को देने का अनुमोदन किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किंग कोबरा के संरक्षण एवं सुरक्षा के प्रयास करने के निर्देश दिये।
घड़ियाल, डॉलफिन के संरक्षण का बेहतर प्रबंधन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्योपुर क्षेत्र के चंबल क्षेत्र में घड़ियाल और डॉलफिन के संरक्षण का बेहतर प्रबंधन किये जायें। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणी क्षेत्र में स्थानीय लोगों की आय के साधन बढ़ाने एवं अत्याधुनिक तकनीक से वन्य प्राणियों एवं जन सामान्य की सुरक्षा के प्रबंध किये जायें। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में वन्य जीव संबंधी जन-जागरूकता कार्यक्रम चलाने के निर्देश भी दिये।
बैठक में माधव राष्ट्रीय उद्यान के 37.233 वर्ग कि.मी. वन्य क्षेत्र को कोर क्षेत्र और शिवपुरी के 1275.154 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को बफर क्षेत्र में शामिल करते हुए माधव टाइगर रिजर्व के गठन की अधिसूचना जारी किए जाने का अनुमोदन किया गया। बालाघाट जिले के अंतर्गत कान्हा-नागझीरा- टाडोबा- इंद्रावति टाईगर कॉरीडोर में 7.65 हेक्टेयर, सीतापाला से कोसम देही मार्ग की 12.92 हेक्टेयर वन भूमि कान्द्रीकला से कट्टीपार मार्ग पर 7.74 हेक्टेयर, दक्षिण बालाघाट के बोदाद लखा से धीरी मार्ग पर 16.65 हेक्टेयर वन भूमि, कान्हा-पेंच कॉरीडोर के खुरसूड-जोनाझोला से खाना मार्ग 14.045 हेक्टेयर और भेंसवाड़ी जल्दीडांड मार्ग 4.25 हेक्टेयर, केन घड़ियाल अभयारण्य के अंतर्गत कोरिया से रेनफाल 3.655 हेक्टेयर वन भूमि मार्ग निर्माण हेतु मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण को दिए जाने का अनुमोदन किया गया।