नई दिल्ली । पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर नेतृत्व का मुद्दा सुलझाने की कोशिश की, पर पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने सक्रिय राजनीति से सन्यास का ऐलान कर पार्टी की चुनौती बढ़ा दी है। हालांकि, उन्होंने साफ किया है कि वह कांग्रेस पार्टी का हिस्सा रहेंगे। जाखड़ पंजाब की राजनीति का बड़ा हिंदू चेहरा हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया है।
पर उनके सक्रिय राजनीति से सन्यास के ऐलान ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। जाखड़ ने यह ऐलान अचानक नहीं किया है, वह पिछले कुछ दिनों से अपनी नाराजगी जता रहे थे। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि हिंदू होने की वजह से वह पंजाब के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। प्रदेश में करीब 38 फीसदी हिंदू मतदाता हैं और वह शहरी क्षेत्रों की 46 सीट पर असर डालते हैं। शहरी क्षेत्र में भाजपा को समर्थन मिलता रहा है, पर वर्ष 2017 के चुनाव में शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। इसकी बुनियाद पर पार्टी विधानसभा चुनाव में 77 सीट जीतने में सफल रही थी। ऐसे में सुनील जाखड़ की नाराजगी से हिंदू मतदाताओं में गलत संदेश जा सकता है।
जाखड़ ने पिछले दिनों अपने समर्थकों से बात करते हुए दावा किया था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह नए मुख्यमंत्री के लिए पार्टी आलाकमान ने विधायकों की राय ली थी, उस वक्त 42 विधायक उनके पक्ष में थे। सिद्धू को छह और चन्नी को सिर्फ दो वोट मिले थे। पर पार्टी के कई नेताओं की राय थी कि मुख्यमंत्री पगड़ीधारी होना चाहिए। इसलिए वह विधायकों के समर्थन के बावजूद सीएम नहीं बन पाए। प्रदेश कांग्रेस के नेता ने कहा कि पार्टी को जीत के लिए हिंदू मतदाताओं के समर्थन चाहिए।
इस वर्ग का भरोसा जीतने के लिए प्रदेश सरकार ने ब्राह्मण कल्याण और अग्रवाल कल्याण बोर्ड का भी गठन किया है। वह मानते हैं कि जाखड़ के सक्रिय राजनीति से संयास के ऐलान से हिंदू मतदाताओं में गलत संदेश गया है। ऐसे में हिंदू मतदाता कांग्रेस को छोड़ते हैं, तो कई सीट पर समीकरण बिगड़ जाएंगे। विधानसभा चुनाव में इसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है।