नई दिल्ली । कोरोना वायरस के बदलते स्वरूपों ने पूरी दुनिया को दहशत में डाल रखा है। ताजा वायरस ‘ओमिक्रॉन’ क्या डेल्टा से भी अधिक घातक होगा? यह सवाल वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम लोगों के मन में भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन से मिल रहे डेटा के आधार पर कई जानकार कह रहे हैं कि ओमिक्रॉन, डेल्टा से आगे निकल जाएगा। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इतने जल्दी इस बात का फैसला करना बहुत मुश्किल होगा। इस वेरिएंट का असर स्वास्थ्य पर कैसा होगा?
वैक्सीन के असर को यह कितना प्रभावित करेगा? जैसे भी कई सवालों के अभी तक जवाब नहीं मिले हैं। ओमिक्रॉन के फैलने को लेकर वैज्ञानिक दक्षिण अफ्रीका की स्थिति का जिक्र करते हैं। नवंबर के मध्य में दक्षिण अफ्रीका में औसतन 200 से कम मामले प्रतिदिन आ रहे थे। इसके बाद यह आंकड़ा 16000 प्रति दिन हो गया। गुतेंग प्रांत में 90 फीसदी से ज्यादा मामले ओमिक्रॉन के हैं। कोरोना का यह नया वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका के 8 प्रांतों में काफी तेजी से फैल रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अभी तक साफ नहीं है ओमिक्रॉन दुनिया के अन्य हिस्सों में भी दक्षिण अफ्रीका की तरह ही असर दिखाएगा। डॉक्टर जैकब लेम्यू का कहना है कि इसके बर्ताव के संबंध में पहले ही संकेत मिल चुके हैं। ब्रिटेन जैसी जगहों पर जहां ज्यादा जीनोम सीक्वेंसिंग होती है, उन्होंने कहा, ‘हम जो देख रहे हैं, वह डेल्टा पर ओमिक्रॉन की वृद्धि का संकेत लग रहा है।’ उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह अमेरिका में भी ‘काफी अनिश्चितताएं हैं।
’ डॉक्टर लेम्यू ने कहा, ‘लेकिन जब आप शुरुआती डेटा को एक साथ देखेंगे, तो एक तस्वीर नजर आएगी कि ओमिक्रॉन पहले से ही यहा है और दक्षिण अफ्रीका में हमने जो पाया उसके आधार पर आने वाले हफ्तों और महीनों में इसके प्रभावी स्ट्रेन बनने की संभावना है और यह मामलों की संख्या में इजाफा कर सकता है।’ अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक विलेम हानेकॉम ने कहा, दक्षिण अफ्रीका से मिला शुरुआती डेटा बताता है कि पहले के वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन ने दोबारा संक्रमण होने की दर काफी ज्यादा है। साथ ही ऐसा लग रहा है कि यह युवाओं को ज्यादा संक्रमित कर रहा है और ज्यादातर उन्हें, जिन्होंने वैक्सीन हासिल नहीं की है। खास बात है कि अस्पताल में भर्ती ज्यादातर मामले हल्की बीमारी के हैं।
रोचेस्टर स्थित मेयो क्लीनिक में क्लीनिकल वायरोलॉजी के निदेशक मैथ्यू बीनिकर का कहना है कि चीजे दुनिया के दूसरे हिस्से और अलग- अलग वर्ग के मरीजों में हालात अलग हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह देखना वाकई दिलचस्प होगा जब ज्यादा संक्रमण बुजुर्गों या पहले से किसी बीमारी का सामना कर रहे लोगों में होंगे।’ हालांकि, जब तक इन सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं। जानकार सुझाव दे रहे हैं कि खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग जो कर सकते हैं, करें। वे वैक्सीन और बूस्टर डोज हासिल करने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग औऱ भीड़ से बचने की बात कह रहे हैं।