नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर बताएं कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के नए सरकारी आवासों के लिए बस टर्मिनल और पार्क की जमीन के लैंड यूज को बदलने की जरूरत क्यों हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि वह हलफनामा के जरिए इस मामले में योजना में संशोधन की आवश्यकता पर सरकार की प्रतिक्रिया बताए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच के सामने याचिकाकर्ता राजीव सूरी की याचिका की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील शिखिल सूरी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनकी याचिका सिर्फ प्लाट नंबर एक के लैंड यूज में प्रस्तावित बदलाव से संबंधित है।
शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 28 अक्टूबर 2020 को जारी उस नोटिफिकेशन पर याचिका में सवाल उठाया गया है जिसके तहत लैंड यूज में बदलाव का प्रस्ताव किया गया था। इसके तहत प्लाट नंबर ए के लिए जोन डी जोनल डेवलपमेंट प्लान में संशोधन का प्रस्ताव है। याची ने कहा कि मनोरंजन वाले इलाके को आवासीय क्षेत्र में बदले जाने के लिए लैंड यूज में बदलाव किया गया है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह पीएम और उप राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के लिए तय किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सवाल किया कि क्या मनोरंजन क्षेत्र अब नहीं रहा वहां और कहीं और शिफ्ट किया गया है क्या? सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिसिटर जनरल ने कहा कि मनोरंजन और खेल क्षेत्र को कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है और साथ ही कहा इसके लिए सुरक्षा का्रण है। नए प्लान में संसद पास होगा ऐसे में मनोरंजन क्षेत्र वहां रखना सही नहीं होगा और यह संभव भी नहीं होगा।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम हलफनामा दायर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 29 अक्टूबर के लिए टाल दी है। याचिकाकर्त ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन व लैंड यूज में बदलाव राइट टु लाइफ की अवहेलना करती है। याचिका में कहा गया है कि लैंड यूज में बदलाव से दिल्ली के लोगों व भारतीय नागरिकों को हरे भरे जगह से महरूम करेगा। जीवन के अधिकार में स्वस्थ्य जीवन और आनंदमय जीवन का अधिकार है।
पांच जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई थी। शीर्ष अदालत ने बहुमत से दिए फैसले में इसके लिए पर्यावरण क्लियरेंस और लैंड यूज को बदलने के लिए जारी नोटिफिकेशन को मंजूरी दे दी थी। केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की घोषणा की हुई है जिसके तहत संसद की नई बिल्डिंग का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से लेकर 1200 की संख्या में सांसद बैठ सकेंगे। ये प्रोजेक्ट अगस्त 2022 तक पूरा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए दिए गए पर्यावरण क्लियरेंस और अन्य मंजूरी में कोई भी गड़बड़ी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह नीतिगत मामले मे दखल देकर उस पर फुलस्टॉप नहीं लगा सकती है। इस मामले में यह नई याचिका दायर की गई है