नई दिल्ली । स्वदेशी टीका कोवैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभावी रही है। एक ख्यात मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में यह दावा किया गया है। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड के बाद कोवैक्सीन का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर तैयार किया है।
निष्क्रिय वायरस तकनीक का इस्तेमाल करने वाली कोवैक्सीन दो खुराक दिए जाने के दो हफ्तों बाद मजबूत एंटीबॉडी प्रक्रिया की शुरुआत करती है। मेडिकल जर्नल में कहा गया है कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन से जुड़े मौत के गंभीर मामले दर्ज नहीं किए गए। भारत में नवंबर 2020 से मई 2021 तक चले इस ट्रायल में 18-97 आयुवर्ग के 24 हजार 419 प्रतिभागी शामिल हुए थे।
भारत बायोटेक और आईसीएमआर की तरफ से आंतरिक अध्ययन के आर्थिक मदद दी गई थी। साथ ही इसमें दोनों संस्थानों के अधिकारी भी कुछ हद तक शामिल थे। कहा जा रहा है कि भारत में जल्दी मंजूरी मिलने को लेकर खडे़ हुए विवाद से निपटने में ये आंकड़े मददगार हो सकते हैं। कोवैक्सीन को भारत में जनवरी में मंजूरी मिल गई थी। उस दौरान वैक्सीन के अंतिम दौर के ट्रायल पूरे किए जाने बाकी थे।
तब से लेकर अब तक कोवैक्सीन के करोड़ों डोज लोगों को लगाए जा चुके हैं। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते हफ्ते वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए सूची में शामिल कर लिया है। मेडिकल जर्नल ने लिखा है कि वैक्सीन के लंबे समय के प्रभाव, असर और बीमारी के खिलाफ सुरक्षा का पता लगाने के लिए आगे की जांजों की जरूरत है।
डब्ल्यूएचओ की तरफ से इस माह की शुरुआत में कोवैक्सीन को स्वीकृति देने से टीके की खुराक ले चुके भारतीयों के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रा आसान हो जाएगी और भारत उन देशों से भी बात कर रहा है, जो भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोरोना-रोधी टीकों को मान्यता देने के लिए अलग-अलग आदेश जारी कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि 96 देशों ने डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वीकृत टीकों को या तो मंजूर कर लिया है या कुछ देशों ने केवल कोविशील्ड या कोवैक्सीन को ही मंजूरी दी है।
डब्ल्यूएचओं ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों टीकों को मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ द्वारा मंजूरी दिए जाने से इस सूची का विस्तार होगा और सभी 96 या अधिक देश दोनों टीकों को स्वीकार करेंगे। मुझे लगता है कि यह (मंजूरी) टीके की खुराक ले चुके भारतीयों की विदेश यात्रा को आसान बनाने में काफी सुधार लाएगी।