ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (खजाना) को फिर से खोलने के बारे में आज राज्य सरकार फैसला लेगी। मंदिर का खजाना आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था। इसे फिर से खोलने का मुद्दा लोकसभा और ओडिशा के विधानसभा चुनावों के दौरान एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना था।
भाजपा ने राज्य में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर ओडिशा में भाजपा सरकार बनती है तो 12वीं सदी के मंदिर के खजाने को खोला जाएगा, ताकि उसका लेखा-जोखा किया जा सके।
16 सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी ने दिया खजाना खोलने का सुझाव
पुरी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर का प्रबंधन राज्य सरकार के कानून विभाग के अधीन है। मंदिर की प्रबंधन समिति ने ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज बिश्वनाथ रथ की अध्यक्षता वाले उच्च स्तरीय पैनल के प्रस्तावों को स्वीकृति दी है, SOPs में कुछ बदलाव किए गए हैं और इसे सरकार की मंजूरी के लिए भेजा है।
राज्य सरकार की गठित इस 16 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने मंदिर के रत्न भंडार की जांच और वहां रखे आभूषणों और कीमती सामान का लेखा-जोखा करने के लिए खजाने को 14 जुलाई को खोलने की सिफारिश की थी।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि राज्य सरकार मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा सिफारिश किए गए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स (SOPs) के कानूनी और अन्य पहलुओं की जांच कर रही है। शनिवार को राज्य सरकार अपने निर्णय के बारे में बताएगी।
रत्न भंडार में रखें हैं भगवान जगन्नाथ के कीमती आभूषण
12वीं शताब्दी में बना जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है। मंदिर के अंदर ही रत्न भंडार है जो दो हिस्सों में बंटा है। इसका बाहरी हिस्सा तो खुला है, लेकिन भीतरी हिस्सा अब रहस्य बन चुका है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के कीमती आभूषण रखे हुए हैं, जो किसी जमाने में राजाओं ने दान किए थे।
रथ यात्रा या किसी खास त्योहार के मौके पर विग्रहों को सजाने के लिए बाहरी भंडार से आभूषण निकाले जाते हैं, लेकिन भीतरी भंडार पिछले 46 साल से नहीं खोला गया।
1985 के बाद से नहीं खुला रत्न भंडार का दरवाजा
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछली शताब्दी में जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया और वहां मौजूद बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसके बाद एक बार 1985 में रत्न भंडार का भीतरी हिस्सा खुला, लेकिन लिस्ट अपडेट नहीं हुई।
हालांकि, 1978 में 13 मई से 13 जुलाई के बीच रत्न भंडार में मौजूद सामानों की जो सूची बनी उसमें करीब 128 किलो सोना और 222 किलो चांदी होने की बात कही गई। इनके अलावा सोने-चांदी की कई वस्तुओं का आकलन नहीं किया गया। 1978 के बाद से अब तक मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई अंदाजा नहीं है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद चाबी खोने का दावा
मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की मांग समय-समय पर उठती रही। इसको लेकर ओडिशा के हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। लिहाजा 2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को रत्न भंडार खोलने के लिए निर्देश दिए, लेकिन 4 अप्रैल 2018 को कोर्ट के आदेश पर जब 16 लोगों की टीम रत्न भंडार के चैंबर तक पहुंची तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा, क्योंकि ये दावा किया गया कि रत्न भंडार की चाबी खो गई है।
जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई
चाबी नहीं मिली तो हंगामा हुआ जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 4 जून 2018 को न्यायिक जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी ने 29 नवंबर 2018 को चाबी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, लेकिन सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया और चाबी का कुछ पता नहीं चल सका। पिछले साल अगस्त में जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि रत्न भंडार 2024 की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान खोला जाए।