इस्लामाबाद पाकिस्तान के ग्वादर में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के खिलाफ 18वें दिन लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है। लोगों का आरोप है कि सीपीईसी के कारण उनकी आजादी पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। पूरे ग्वादर में चीन के निवेश की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान पुलिस ने जगह-जगह चेक पोस्ट बना रखे हैं। इन चेक-पोस्ट को पार करने के दौरान हर एक पाकिस्तानी की गहन जांच की जाती है। पाकिस्तान सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए 5500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है।
बलूचिस्तान पुलिस ने कई अन्य जिलों के 5,500 पुलिस अधिकारियों को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और संभावित दंगे को दबाने के लिए 5500 पुलिसकर्मियों को ग्वादर भेजने के आदेश जारी किए हैं। बलूचिस्तान के केंद्रीय पुलिस कार्यालय की अधिसूचना के अनुसार, अतिरिक्त पुलिस बल भेजा जा रहा है जिसमें निचले कैडर के कर्मियों के अलावा पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) शामिल हैं।
पूरे ग्वादर में पानी और बिजली की कमी देखी जा रही है। इमरान सरकार लोगों के हिस्से की बिजली और पानी की सप्लाई चीनी कंपनियों को कर रही है। चीन ने ग्वादर को ही सीपीईसी का बेस बनाया है। इसलिए इस शहर में चीनी कंपनियां बड़ी संख्या में निर्माण कार्य कर रही हैं। बिजली-पानी न मिलने से लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। लोग मछलियों के अवैध शिकार से आजीविका पर खतरे के कारण भी भड़के हुए हैं। कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तथा इन विषयों से सरोकार रखने वाले लोग पिछले एक हफ्ते से ग्वादर में पोर्ट रोड के वाई चौक पर प्रदर्शन के लिए जुटे हैं।
सीपीईसी पर बनी पाकिस्तानी सीनेट की विशेष समिति को इमरान खान सरकार ने बताया था कि चीन के सीपीईसी की फंडिंग बंद करने के कारण कई इंफ्रास्ट्रक्टर के प्रोजक्ट लटके पड़े हुए हैं। ग्वादर में स्मार्ट सिटी प्रोजक्ट को लेकर भी इस कमेटी ने सरकार को खूब कोसा था। सीनेटर डॉ सिकंदर मंदरू की अध्यक्षता में कमेटी की इस बैठक में सरकार ने बताया था कि सीपीईसी परियोजना में पैसे की कमी के कारण खुजदार-बसिमा परियोजना सहित कई प्रोजक्ट में हम अपनी संघीय विकास निधि के पैसे का प्रयोग कर रहे हैं।
ग्वादर बंदरगाह 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) का अहम हिस्सा है। भारत पहले ही चीन के सामने इस परियोजना को लेकर अपनी आपत्ति जता चुका है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से गुजरती है।