भोपाल। तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रतिष्ठा पुरूष पंडित गोरेलाल शुक्ल स्मृति समारोह के अंतर्गत पंडित रामकिंकर सभागार में समापन संध्या पर परमपूज्य महाराजश्री पं. उमाशंकर व्यास ने प्रवचन प्रसंग के अतंर्गत श्री रामचरितमानस के ’सुभ अरू असुभ करम अनुहारी। ईसु देइ फलु हृदय बिचारी।। केन्द्रित चौपाई पर कहा कि
अपने सत्कर्म प्रभु को समर्पित करें यही भक्तिशास्त्र का सिद्धांत है। आपने कहा कि इस संसार में व्यक्ति कर्म करने के लिये तो स्वतंत्र है लेकिन कर्म के फल का परिणाम तो उसे ईश्वर द्वारा ही प्राप्त होता है। इसलिए हमें सदा सत्कर्म करना चाहिए। समापन दिवस पर आपने प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष तथा सुधी श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पुण्यश्लोक पं.गोरेलालशुक्ल स्मृति समारोह के माध्यम से आप सभी से प्रतिवर्ष सत्संग का अवसर मिलता है यह ईश्वर की विशेष कृपा है। प्रभु कृपा की यह संपदा आप सब पर बनी रहे। ऐसा मेरी प्रभु से कामना है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि क्रे रूप में बोलते हुए उमाशंकर गुप्ता (पूर्व मंत्री म.प्रशासन) ने कहा कि रामचरितमानस को जितना समझा जाए उतना कम है। यह ग्रंथ जीवन जीने की मर्यादा सिखाने वाला ग्रंथ है। आपने श्रीरामचरितमानस के पाठ के अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि यदि हम इसे श्रद्धा से हदयंगम करें तो प्रति दिन की समस्याओं के समाधान के सूत्र प्राप्त होते है। यही कारण है कि श्रीरामचरितमानस की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है और भविष्य मे बनी रहेगी। अध्यक्षता करते हुए हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक अशोक कड़ेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्राचीन होने के साथ-साथ सर्व समावेशी संस्कृति है। इस संस्कृति के अविरल प्रवाह की धारा श्रीरामचरितमानस जैसे सदग्रन्थों के माध्यम से ही प्रवाहित हो रही है। ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का व्यक्ति के जीवन में किस प्रकार समावेश होना चाहिये इसकी शिक्षा श्रीरामचरितमानस से मिलती है।
यही कारण है कि वर्तमान शिक्षा नीति में जीवन, मूल्य आदर्श की स्थापना के प्रयास किये गये है ताकि आने वाली पीढ़ियां हमारी संस्कृति के उज्जवल पक्ष से परिचित हो सके। कार्यक्रम के प्रारंभ में तुलसी मानस प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि सांस्कृतिक चेतना के संवर्धन का यह केन्द्र हमारे प्रख्यात प्रवचनकारों सुधी श्रोताएां तथा सभी सहयोगियों के कारण अपने उद्धेश्य में सफल हुआ है। पंडित गोरेलालजी शुक्ल ने ज्ञान,भक्ति,वैराग्य की त्रिवेणी के रूप में इस प्रयाग स्थल की स्थापना कर हम सबको अवगाहन का अवसर दिया है। इसके लिये मैं हदय से सभी पूर्व रामानुरागी सज्जनवृंद तथा हरि रेडियो, मंच सज्जा के लिये महेन्द्र निगम,शैलेन्द्र निगम तथा सभी सहयोगियों, प्रचार प्रसार के लिये समाचार पत्रों,दूरदर्शन के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि,अध्यक्ष महोदय एवं कार्याध्यक्ष रघुनंदन शर्मा, श्री राजेन्द्र शर्मा, श्री प्रभुदयाल मिश्र, कैलाश जोशी,सचिव,,देवेन्द्र रावत ने शाल श्रीफल से महाराजश्री का सम्मान किया और इस अवसर पर महेश सक्सेना, मनीष भट्ट,दिनेश वाधवानी,डॉ.मालवी जोशी, सुश्री शारदा राठौर, जयनारायण गुप्ता, महेश दुबे,श्रीमती भारती जिवनानी और कमलेश जैमिनी ने स्वागत किया।
कार्यक्रम का संचालन कमलेश जैमिनी के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में कोविड़ गाइडलाइन के अंतर्गत श्रोताएओं की बैठक व्यवस्था में सामाजिक दूरी एवं मास्क लगाने का पालन कराया गया।