नई दिल्ली । कोरोना महामारी ने कई स्वास्थ्य सेवाओं और फार्मा कंपनियों को अरबपति बना दिया है। इसी कड़ी में डोलो 650 टैबलेट के निर्माता भी शामिल हैं। मार्च 2020 में कोविड के प्रकोप के बाद से 350 करोड़ से अधिक डोलो गोलियां बिकी हैं। महामारी के दौरान चिकित्सक सबसे अधिक यही दवा लेने की सलाह देते रहे हैं। इस वजह से डोलो पर आए दिन मीम्स शेयर होते हैं।
इन मीम्स ने कहीं न कहीं डोलो 650 के लिए विज्ञापन का काम किया है। पिछले कुछ सप्ताह में ओमीक्रोन को लेकर डर और इसके मामले बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया पर फिर से डोलो पर मीम्स और पोस्ट शेयर होने लगे। इन मीम्स और बिक्री की बदौलत डोलो 650 की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 60 फीसदी के करीब पहुंच चुकी है। डोलो को बेंगलुरु की माइक्रो लैब्स बनाती है। जनवरी माह में भी डोलो के मार्केट शेयर में उछाल दर्ज किया जा रहा है। डोलो 650 एक 650एमजी वाली पैरासीटामोल टेबलेट है, जिसका इस्तेमाल बुखार और दर्द के इलाज में किया जाता है।
अनुमान है कि डोलो पर 80 से अधिक मीम्स प्रचलन में हैं जो दवाओं के अप्रत्यक्ष प्रचार, उनके तर्कहीन उपयोग और खुद से अनुचित इलाज के बारे में चिंताओं को जन्म दे रहे हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विशेषज्ञ बताते हैं कि दवाओं का प्रचार और विज्ञापन, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट का उल्लंघन है, और इस अनियंत्रित नहीं होने देना चाहिए। चूंकि पैरासिटामोल एक अनुसूचित दवा है, इसलिए इसे बुखार के लिए अधिनियम के तहत प्रचारित नहीं किया जा सकता है।
माइक्रो लैब्स के कार्यकारी वीपी (मार्केटिंग) जयराज गोविंदराजू का कहना है कि हम इस कानून के अनुसार प्रचारित कर रहे हैं, और पैक पर वैधानिक चेतावनी है। उन्होंने आगे कहा कि अगर पेरासिटामोल को निर्धारित डोज में लिया जाता है,तब इसे एक अच्छी तरह से सहन करने की जा सकने वाली दवा के रूप में जाना जाता है। लेकिन इसकी ओवरडोज लिवर और अग्नाशय की को नुकसान पहुंचा सकती है।