नई दिल्ली: किसी कपड़े और कंबल चादर को आज रोज इस्तेमाल करते हैं, तब भी हफ्ते भर में धो लेते हैं। लेकिन यह भारतीय रेल है जो कि महीने में एक बार कंबल को धोने का प्रावधान किये हुए है। लेकिन जैसे महीने की पहली तारीख को आपका वेतन आ जाता है, उस तरह 30 दिन पूरे होने पर रेलवे का कंबल धुल जाए, जरूरी नहीं है। लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि ट्रेन में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है। एम महीने में 30 यात्री तो इसका इस्तेमाल कर ही लेते हैं।रेल मंत्री ने यह बताया
कांग्रेस के सांसद कुलदीप इंदौरा ने कंबल की धुलाई और साफ-सफाई को लेकर रेल मंत्री से सवाल पूछा था। इसके लिखित जवाब में रेल मंत्री वैष्णव ने बताया लोकसभा में बताया कि महीने में कम से कम एक बार कंबल की धुलाई अवश्य की जाती है। उल्लेखनीय है कि ट्रेन के एयरकंडीशंड क्लास में बेड रोल रेलवे की तरफ से दिया जाता है। इसमें गंदे चादरों और कंबलों की सप्लाई की अक्सर खबर पढ़ने को मिलती है। चादर तो हर इस्तेमाल के बाद जरूर धो दी जाती है, लेकिन कंबल तो समेट पर फिर से अगले पैसेंजर को दे दिया जाता है। एक ओवरनाइट ट्रेन में एक महीने के दौरान 30 यात्री तो आराम से इसे इस्तेमाल कर ही लेते हैं।
कंबल का कवर भी दिया जाता है
वैष्णव ने संसद सदस्यों को यह भी बताया कि बेड रोल में कंबल के साथ दो चादरों की सप्लाई की जाती है। एक चादर बर्थ पर बिछाने के लिए होता है जबकि दूसरा चादर कंबल पर कवर के रूप में उपयोग के लिए। रेलवे के अधिकारी बताते हैं दूसरा चादर हमेशा कंबल से चिपका लेना चाहिए और चादर वाली तरफ से ओढ़ना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि दूसरे यात्रियों का उपयोग किया गया कंबल आपके शरीर से सीधे संपर्क में नहीं आए।
रेलवे में हल्के कंबलों का उपयोग
जवाब के मुताबिक वर्तमान निर्देशों के अनुसार भारतीय रेलवे में प्रयुक्त कंबल हल्के होते हैं। इन्हें धोना आसान होता है तथा ये यात्रियों को अच्छा इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, जिससे यात्रा का अनुभव आरामदायक होता है। उनके जवाब में यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए अन्य उपायों के बारे में भी बताया गया, जिनमें बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उन्नत बीआईएस विनिर्देशों के साथ नए लिनन सेटों की खरीद, स्वच्छ लिनन सेटों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मशीनीकृत लांड्रियां, लिनन की धुलाई के लिए मानक मशीनों और निर्दिष्ट रसायनों का उपयोग, तथा लिनन धुलाई गतिविधियों की निगरानी शामिल है।
गुणवत्ता को जानने के लिए व्हाइटो-मीटर
रेल मंत्री वैष्णव के जवाब में कहा कि धुले हुए लिनेन की गुणवत्ता की जांच के लिए व्हाइटो-मीटर का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि अब चादरों का जीवन काल (Service Life) कम कर दिया गया है। इससे जल्दी ही अब चादरों को चलन से बाहर कर दिया जाता है। इससे नई चादरों को तेजी से शामिल किया जा रहा है।
शिकायतों के निपटारे के लिए वॉर रूम
अश्विनी वैष्णव ने यह भी बताया कि रेलवे ने रेल मदद पोर्टल पर दर्ज शिकायतों की निगरानी के लिए जोनल मुख्यालयों और डिवीजनल लेवल पर 'वॉर रूम' स्थापित किए हैं। इसमें यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले लिनेन और बेडरोल से संबंधित शिकायतें भी शामिल हैं। उनके अनुसार, ऐसी सभी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जाती है। उन्होंने सदन को यह भी बताया कि रेलवे स्टेशनों और रेलगाड़ियों में लिनेन के भंडारण, परिवहन, लोडिंग और अनलोडिंग के लिए उन्नत लॉजिस्टिक्स का उपयोग कर रहा है।
क्या है रेलवे की लिनेन व्यवस्था
भारतीय रेल के ट्रेनों के एसी क्लास (AC Class) में रेलवे की तरफ से बेड रोल (Bedroll) की सप्लाई का प्रावधान है। इस बेड रोल में दो चादरें, एक कंबल, एक तकिया और एक छोटा तौलिया होता है। यात्रियों की अक्सर शिकायत होती है कि बेड रोल साफ सुथरे नहीं होते। कई बार शिकायत आती है कि यात्रियों को यूज्ड कंबल-चादर की सप्लाई कर दी गई है। कंबल की तो खास तौर पर शिकायत होती है।
पिछले साल की गई थी क्यूआर कोड की व्यवस्था
यात्रियों की शिकायतों से परेशान रेलवे (Indian Railways) ने पिछले साल नई व्यवस्था अमल में लाने का फैसला किया था। यह व्यवस्था थी क्यूआर कोड (QR Code) की। इस व्यवस्था को लाते समय बताया गया था कि कंबलों के क्यूआर कोड को स्कैन करते ही पैसेंजर जान लेंगे कि आखिरी बार चादर या कंबल कब धुले हैं।