चुनाव आयोग ने बुधवार 22 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस जारी किया। आयोग ने दोनों पार्टियों के अध्यक्षों और स्टार प्रचारकों से अपने भाषण को सही करने, सावधानी बरतने और मर्यादा बनाए रखने के लिए कहा।
लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी समेत कांग्रेस के नेता अपने भाषणों में संविधान बचाने और अग्निवीर स्कीम का बार-बार जिक्र कर रहे हैं। वहीं भाजपा के नेता अपनी स्पीच में मुसलमान और धर्म पर जोर दे रहे हैं। आयोग ने दोनों पार्टियां के स्टार प्रचारकों को धार्मिक और सांप्रदायिक बयानबाजी न करने का निर्देश दिया है।
इलेक्शन कमीशन की तरफ से शो-कॉज नोटिस भेजे जाने के बाद नड्डा और खड़गे ने अपनी-अपनी पार्टी के कैंपेन के तरीके को सही ठहराया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने-अपने स्टार कैंपेनर्स के बयान का भी बचाव किया है। दोनों ने इलेक्शन कमीशन से यह मांग भी की है कि उनकी तरफ से विरोधी पार्टी के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत पर एक्शन लिया जाए।
नाव आयोग ने भाजपा और कांग्रेस से क्या कहा?
भाजपा से उन प्रचार भाषणों को रोकने के लिए कहा है, जिनसे समाज में बंटवारा हो सकता है।
चुनाव आयोग ने कांग्रेस से कहा कि वह संविधान को लेकर गलत बयानबाजी न करे। जैसे कि भारत के संविधान को खत्म किया जा सकता है या बेचा जा सकता है। इसके अलावा अग्निवीर पर बोलते हुए इलेक्शन कमीशन ने कांग्रेस से कहा कि वो डिफेंस फोर्स का राजनीतिकरण न करें।
25 अप्रैल को भी EC ने भाजपा-कांग्रेस को नोटिस दिया था
यह पहली बार हुआ, जब आयोग ने स्टार प्रचारक की जगह पार्टी अध्यक्षों को नोटिस जारी किया गया। PM नरेंद्र मोदी भाजपा और राहुल गांधी कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं। इस लिहाज से इनके भाषणों के लिए EC ने पार्टी अध्यक्षों को जिम्मेदार माना।
चुनाव आयोग से PM मोदी और राहुल गांधी के भाषण में आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की गई थी। शिकायत में कहा गया कि ये लीडर्स धर्म, जाति, समुदाय और भाषा के आधार पर लोगों को बांटने और नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।
25 अप्रैल को चुनाव आयोग के पोल पैनल ने कांग्रेस और भाजपा की एक-दूसरे के खिलाफ की गई शिकायतों के आधार पर दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को नोटिस जारी किया था। यह नोटिस आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन 77 के तहत इश्यू किया गया था।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत जारी हुए नोटिस
भारत में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट्स के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं। इन्हें 1951 में बनाए गए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में डिफाइन किया गया है। इनमें एक हिस्सा चुनावी आचार संहिता का है। चुनाव के समय हर कैंडिडेट को इसका पालन करना होता है। किसी भी जगह आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग एक्शन लेता है।
चुनाव आयोग AAP नेता आतिशी को भी नोटिस भेज चुका है
चुनाव आयोग ने 5 अप्रैल को आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी सिंह को भी नोटिस जारी किया था। आतिशी ने कहा था कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का ऑफर मिला था और ऐसा नहीं करने पर जेल भेजने की धमकी दी गई थी। चुनाव आयोग में शिकायत कर इसकी सच्चाई पर सवाल खड़े किए थे।
तेलंगाना के पूर्व CM के चंद्रशेखर राव ने कांग्रेस नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसे लेकर भी चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा था। कांग्रेस के गणेश गोदियाल और रघुबीर सिंह कदियान को भी चुनाव आयोग नोटिस भेज चुका है।