फिरोजपुर । पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान आयोजित होने वाली रैली के रद्द होने के बाद उठे सियासी घमासान के बीच उनकी सुरक्षा में लापरवाही को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वहीं कृषि संगठनों ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ डेढ़ महीने में इसे अपनी दूसरी बड़ी जीत बताया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने कहा कि मोदी को तब तक राज्य से दूर रहना चाहिए जब तक कि उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। बीकेयू (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहन ने कहा कि सरकार को यह सोचकर चैन की सांस नहीं लेनी चाहिए कि किसान विरोध से पीछे हट गए हैं। जब तक सरकार हमारी लंबित मांगों को नहीं मानती तब तक विरोध जारी रहेगा।
किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि एमएसपी उनके लिए निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। बीकेयू (एकता विद्रोह), किसान मजदूर संघर्ष समिति और एसकेएम के तहत नौ अन्य यूनियनों ने अलग से हैशटैग मोदी गो बैक अभियान चलाया था। एसकेएम के दर्शन पाल और राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा कि हम एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी प्रदान किए जाने और लखीमपुर खीरी पीड़ितों के साथ न्याय किए जाने तक सरकार को चैन से नहीं सोने देंगे। बीकेयू (एकता डकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि भाजपा को यह सपना नहीं देखना चाहिए कि इसके पीछे आंदोलन था। इस बीच, केंद्र ने कृषि समूहों को आश्वासन दिया कि वह 15 जनवरी तक एमएसपी पर एक समिति बनाएगा और किसान मजदूर संघर्ष समिति के तीन प्रतिनिधियों सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह और सरवन सिंह पंढेर को 15 मार्च को एक बैठक के लिए बुलाया जाएगा। इन लोगों के साथ बैठकर लंबित मांगों पर चर्चा होगी।