आज पहला नेशनल स्पेस डे है। आज से ठीक एक साल पहले यानी, 23 अगस्त, 2023 को भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में पहुंचने वाला पहला देश बना था। चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी।
इस उपलब्धि के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेस डे मनाने की घोषणा की थी। नेशनल स्पेस डे-2024 की थीम है "टचिंग लाइव्स व्हाइल टचिंग द मून: इंडियाज स्पेस सागा।" दिल्ली के भारत मंडपम में इसे सेलिब्रेट किया जा रहा है।
पार्ट 1- भविष्य के प्लान: अगले साल स्पेस में जाएंगे एस्ट्रोनॉट, चांद पर जाने का भी प्लान
तीन एस्ट्रोनॉन स्पेस में जाएंगे: 2025 में 'गगनयान' में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इस मिशन का पहला अनमेन्ड लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस साल दिसंबर में होगा।
चांद की मिट्टी पृथ्वी पर लाएंगे: इसरो चेयरमैनने बताया कि चंद्रयान 4 और 5 के डिजाइन पूरे हो गए हैं, स्पेस एजेंसी को सरकार की मंजूरी का इंतजार है। ये मिशन भारत की लूनर एक्सप्लोरेशन कैपेबिलिटीज को आगे बढ़ाएगा। इमें चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्चिंग: भारत के अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे। पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च होगा। इसके लिए डिज़ाइन का काम पूरा हो चुका है और रिपोर्ट मंजूरी के लिए सरकार को सौंप दी गई है। ये स्टेशन स्पेस में एस्ट्रोनॉट का ठिकाना होगा।
2040 तक इंडियन एस्ट्रोनॉट को चांद पर भेजना: इसरो 2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने पर काम कर रहा है। अभी अमेरिका ही ऐसा देश है जो चांद पर इंसानों को भेज चुका है। चीन भी 2030 तक अपने एस्ट्रोनॉट को चांद पर पहुंचाने पर काम कर रहा है।
पार्ट 2- हासिल क्या हुआ: दुनिया को दिखाई सॉफ्ट लैंडिंग की तकनीक, ऑक्सीजन भी खोजी
1. चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की तकनीक: दुनिया में रूस, अमेरिका, चीन, भारत और जापान ही ऐसे देश हैं जिन्होंने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैडिंग की है। अमेरिका और चीन तेजी से चंद्रमा पर इंसानों का बेस बनाने पर काम कर रहे हैं, भारत भी इस रेस में पीछे नहीं रहना चाहता।
2. सतह और गहराई के तापमान में बड़ा अंतर: 28 अगस्त 2023 को लैंडर में लगे चास्टे पेलोड से पता चला था कि चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस तो 80mm की गहराई में माइनस 10°C था।
3. चांद की सतह पर सल्फर खोजा: इसरो ने 29 अगस्त 2023 को बताया था कि रोवर पर लगे लिब्स पेलोड ने साउथ पोल पर सल्फर का पता लगाया। इसके अलावा एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला था।
4. चंद्रमा की सतह के पास प्लाज्मा कम घना: 31 अगस्त को इसरो ने बताया था लैंडर पर लगे लैंगम्यूर प्रोब (RAMBHA-LP) पेलोड ने साउथ पोल रीजन में लूनर प्लाज्मा वातावरण का पहला माप लिया था। इसमें पता चला कि चंद्रमा की सतह के पास प्लाज्मा कम घना है।
5. विक्रम की दोबारा लैंडिंग कराई: इसरो ने 3 सितंबर को विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर दोबारा लैंडिंग कराई थी। ISRO ने बताया कि लैंडर को 40 सेमी ऊपर उठाया गया और 30 से 40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित लैंड करा दिया। इसे हॉप एक्सपेरिमेंट यानी जंप टेस्ट कहा।
पार्ट 3- कैसे कराई सॉफ्ट लैंडिंग: 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था चंद्रयान-3 मिशन
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया था। आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3 रॉकेट के जरिए इसे स्पेस में भेजा था। 23 अगस्त को इसने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की थी। इस मिशन के तीन हिस्से थे- प्रोपल्शन मॉड्यूल, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर।
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई थी
ISRO ने 23 अगस्त 2023 को 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा कर लिया था।
चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।
1. रफ ब्रेकिंग फेज:
2. ऐटीट्यूड होल्डिंग फेज:
3. फाइन ब्रेकिंग फेज:
4. टर्मिनल डिसेंट:
2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया। चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी चंद्रयान-3 ने भेजा। कहा- 'मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।'