नई दिल्ली । केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार सीआरपीसी और आईपीसी में बदलाव करने की दिशा में काम कर रही है। इसके तहत देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़, नशीले पदार्थ और जाली नोटों जैसे कई अपराधों को जघन्य अपराधों की श्रेणी में लाकर इनसे निपटने के लिए कड़े प्रावधान किए जाएंगे। अमित शाह ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2020 बैच के 122 परिवीक्षाधीन अधिकारियों से शुक्रवार को नई दिल्ली में मुलाकात की।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह सचिव और सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, मसूरी के निदेशक भी उपस्थित थे। इस अवसर पर अधिकारियों को अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि आप ‘मेरा क्या, मुझे क्या’ की सोच से ऊपर उठकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें, जिससे आप सहजता के साथ किसी भी स्थिति को संभालने में सक्षम हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों को समग्रता के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विषयों पर ध्यान देना चाहिए।
शाह ने कहा कि राज्यों के अधिकारों में दखल दिए बिना और संविधान की भावनाओं का सम्मान करते हुए जाली करंसी, हथियारों की तस्करी, ड्रग्स जैसे अपराधों की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय की आवश्यकता है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि आपकी गतिविधियों का केंद्र पुलिस थाना और सूचना का केंद्र बीट अफसर होना चाहिए, इससे आपको बहुत मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार साइबर अपराधों व अन्य अपराधों पर लगाम लगाने की दिशा में कई कदम उठा रही है। मोदी सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर फॉरेंसिक साइंस के इस्तेमाल पर बल दे रही है। देश के हर जिले में मोबाइल फॉरेंसिक लैब स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा देश के हर जिले में साइबर अपराध रोकने के लिए एक टीम बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है। छह साल से ज्यादा सजा वाले सभी मामलों में फॉरेंसिक सुबूतों को अनिवार्य बनाया जाएगा। शाह ने कहा कि अगर अपराधियों के सपोर्ट सिस्टम को नष्ट कर दिया जाए तो वे कुछ नहीं कर सकेंगे।