भोपाल । प्रदेश के इंदौर शहर के चिड़ियाघर से गायब हुआ तेंदुआ वन मंत्री विजय शाह की फटकार के बाद 48 घंटे में मिल गया है। मंत्री की फटकार के बाद सोमवार से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एक्टिव मोड में दिखे। दिनभर चिड़ियाघर के अलावा आसपास का क्षेत्र भी छान मारा। यहां तक सोमवार रात को दो बजे तक आजाद नगर और रेडियो कालोनी में टीम घूमती रही। फिर मंत्री जाने के 48 घंटे बाद अचानक तेंदुआ वन विभाग कार्यालय में प्रकट हो गया है। बता दें कि तेंदुआ गायब होने के चौथे दिन रविवार को वनमंत्री विजय शाह चिड़ियाघर पहुंचे थे और घटनाक्रम की जानकारी ली थी।
मौके पर वन अफसर मौजूद नहीं होने पर नाराज भी हुए। तत्काल फोन कर बुलाया और जमकर फटकार लगाई थी। तेंदुए की कहानी पर काफी सवाल खड़े हो रहे है। सुबह 9.30 बजे दोनों कर्मचारी को तेंदुआ कार्यालय के पिछले हिस्से में बैठा दिखा। जानकारी अधिकारियों को मिली। मगर हैरान करने वाली बात यह है कि न तो रेस्क्यू टीम और न नवरत्नबाग में रहने वाले वनकर्मियों को इसके बारे में नहीं पता चला। तेंदुए के पकड़े जाने तक पूरे समय वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। सूत्रों के मुताबिक स्टाफ भी समझ नहीं पा रहा है कि आखिर तेंदुआ चिड़ियाघर की दीवार फांदकर, सड़क पार कर, सीसीटीवी से बचते हुए वहां तक कैसे पहुंचा।
भले ही छह दिन बाद तेंदुआ मिल गया हो, लेकिन बुराहनपुर वनमंडल के स्टाफ पर गाज गिरना तय है। रेस्क्यू के बाद चिड़ियाघर में लाकर छोड़ दिया है। शेड्यूल 1 में आने वाले तेंदुए को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिसमें रेंजर, वाहन चालक और कुछ वनकर्मी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक पूरे मामले में वरिष्ठ अधिकारी स्टाफ का बचाव करने में लगे है और पूरी गलती अभी चिड़ियाघर प्रशासन पर मंड रहे हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक चिड़ियाघर में छोड़ने से पहले स्टाफ को प्राप्ती लेना था या रातभर वहां रुकना था। इन लापरवाही को देखते हुए स्टाफ निलंबन होना तय माना जा रहा है। जिस पिंजरे में तेंदुए को लाया गया है। वह काफी खराब स्थिति में है। पिंजरे का क्षतिगस्त हिस्से को वेल्डिंग कर ठीक किया है।
उसमें अंदर की तरफ तार निकले है, जो वन्य प्राणियों को चोट पहुंचा सकते है। यहां तक पिंजरे के अंदर ही एक लोहे की जाली पटक रखी है। वैसे नियमानुसार प्रत्येक छह महीने में रेस्क्यू से जुड़े संसाधनों का रखरखाव व मरम्मत करवाना है। मगर इस पूरे प्रकरण में ऐसा कुछ भी देखा नहीं गया है। छह दिन से लापता जैसे ही वनमंडल में दिखा और घंटेभर में रेस्क्यू हुआ। पूरे आपरेशन का विडियो भी इंटरनेट मीडिया भी वायरल हो गया। फेसबुक से लेकर वाट्सअप पर तेंदुए के वन विभाग में मिलने की कहानी पर सवाल खड़े हुए। मजीकिया लहजे में वन विभाग और चिड़ियाघर की खिंचाई भी की।
कुछ इंटरनेट यूजर्स ने कहा कि तेंदुआ वन विभाग में आत्मसमर्पण करने आया था तो कुछ यूजर्स लिखते है कि तेंदुआ को भिया ने नवरत्नबाग में पेश करवाया है। तेंदुए के गायब होने के बाद से वन विभाग और चिड़ियाघर प्रशासन आमने-सामने आ गए है। छह दिन से एक-दूसरे पर गलती डालने में लगे है। पूरे घटनाक्रम में दोनों विभाग की लापरवाही सामने आ चुकी है। चिड़ियाघर प्रशासन ने तेंदुआ लाने के बाद एक मर्तबा भी उसे तुरंत उपचार देने के बारे में नहीं सोचा। यहां तक नेपानगर से इंदौर लाने तक सही सलामत है या नहीं। इसके बारे में भी जानना उचित नहीं समझा। वहीं बरहानपुर वनमंडल का स्टाफ भी इतना लापरवाह निकला कि उन्होंने तेंदुए को वहीं छोड़कर चले गए। चिड़ियाघर पहुंचने के बाद तेंदुए का उपचार शुरू हुआ। पिछला हिस्से में लकवागस्त हो चुका था। भूखा-प्यास होने के चलते तेंदुए को डिहाईड्रेशन से बचाने के लिए डाक्टर ने पूंछ के जरिए स्लाइन चढ़ाई।200 एमएल लिक्विड देने के बाद तेंदुए को खाना दिया गया। शाम तक तेंदुए की स्थिति में सुधार आया, लेकिन पिछले हिस्से में तकलीफ बनी हुई है। अफसरों ने एक्स-रे करवाने का फैसला लिया है।