कानपुर । कानपुर शहर की दस में से सिर्फ तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता इनके नतीजों पर असर डाल सकते हैं। वर्ष 1951-2017 तक हुए कुल 17 चुनावों में 174 प्रत्याशी सभी सीटों पर जीते हैं जिसमें मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या मात्र 16 (9.2 प्रतिशत) है। ऐसे में सभी दलों की निगाहें इनके रुख पर टिकी हैं। ओवैसी फैक्टर को लेकर भी इनकी चिंता कम नहीं है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कैंट और सीसामऊ में अधिक है। इस तबके का रुझान जिस दल की ओर भी एकतरफा हो जाता है, उसकी सीट यकीनी हो जाती है।
हालांकि आर्यनगर सीट में ऐसा नहीं है लेकिन इस विधानसभा में मजबूती से लड़ने वाले पर इनके हाथ रखने से उसकी जीत सुनिश्चित होती रही है। इस ट्रेंड का फायदा हर दल उठाना चाहता है और इसी को आधार मानकर प्रत्याशी घोषित करता रहा है। ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सदर असदउद्दीन ओवैसी चुनाव से पहले दो बार शहर में रैली कर चुके हैं।
फिलहाल सभी सीटों से दावेदारों से आवेदन मांगे गए हैं। कैंट सीट से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हाजी शौकत भी दावेदार हैं। ऐसे में अन्य दलों के प्रत्याशियों की चिंता यह है कि अगर नुकसान हुआ तो भरपाई कहां से करेंगे। पर इस फैक्टर से एक दल मन ही मन खुश भी है, क्योंकि यह जितना काम करेगा उससे उतनी ही दिशा उसके पक्ष में जाएगा।