नई दिल्ली । बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) सिविलियन ट्रैफिक से टोल वसूलने की योजना बना रहा है। बीआरओ रक्षा मंत्रालय के अंडर आता है। इसे चीन और पाकिस्तान से लगते सीमावर्ती राज्यों में सड़कें बनाने की जिम्मेदारी मिली है। बीआरओ की योजना केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की चार सड़कों पर टोल वसूलने की है। इन सड़कों की कुल लंबाई 941 किमी है। इनमें लेह-श्रीनगर हाइवे और नुब्रा घाटी से गुजरने वाली वह सड़क शामिल है जो लेह को चालुंका से जोड़ती है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान का चोरबट और उत्तर में सियाचिन है।
इन सड़कों पर छह स्थानों पर टोल प्लाजा लगाने की योजना है। बीआरओ ने इस संबंध में क्लीयरेंस के लिए लद्दाख के ट्रांसपोर्ट सेक्रटरी सौगत बिस्वास को एक पत्र लिखा है। इसके मुताबिक एजेंसी छह टोल प्लाजा स्थापित करना चाहती है। इसका मकसद राजस्व जुटाना है। कारगिल हिल काउंसिल के प्रमुख फिरोज खान और सामाजिक कार्यकर्ता सज्जाद कारगिली ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि टोल कलेक्शन की अनुमति देने से पहले इस पर विचार विमर्श होना चाहिए। ये सड़कें स्थानीय लोगों की लाइफलाइन हैं और इनमें बाहर से भी काफी ट्रैफिक आता है। जून से सितंबर के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने से इन सड़कों पर ट्रैफिक काफी बढ़ जाता है। लेकिन सर्दियों के दौरान इन पर ज्यादातर लोकल ट्रैफिक ही रहता है।
बीआरओ की सड़कों से सीमावर्ती इलाकों में सेना और उसके साजोसामान को आसानी से पहुंचाया जा सकता है। साथ ही इससे देश के दूरदराज के इलाकों में आर्थिक प्रगति में भी तेजी आई है। बीआरओ की योजना श्रीनगर-लेह हाइवे पर तीन स्थानों पर टोल वसूलने की है। यह जोजिला पास से गुजरता है जहां अभी सुरंग बनाने का काम चल रहा है। बीआरओ मीनामर्ग, मुलबेख और निम्मू में टोल प्लाजा बनाना चाहता है। इसी तरह निम्मू से हिमाचल प्रदेश के दारचा को जोड़ने वाली सड़क पर पदम पर टोल प्लाजा बनाने का प्रस्ताव है। लेह-चालुंका रोड पर खलसर और खाल्तसे-बटालिक सड़क पर स्कूरबचन पर टोल स्थापित किए जाएंगे।