केंद्र सरकार द्वारा गरीब परिवार के सभी सदस्यों के लिए
आयुष्मान और मुफ्त राशि की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। इसमें मध्यवर्गीय परिवारों के सदस्यों को किसी सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। हास्पिटल में मध्यवर्गीय परिवारों को दवाओं का खर्च भारी पड़ता है, क्योंकि दवाइयां प्रिंट एमआरपी पर मिलती है, जबकि उनका मूल्य कम होता है।
दवाओं की मार्केटिंग करने वाले सनोज गुर्जर ने बताया कि आमजन को एमआरपी पर दवाइयां और सर्जिकल सामान दिया जा रहा है। सभी के पास सही जानकारी नहीं होने से वह महंगे दाम पर दवाइयां खरीदते रहते हैं। दवाओं की एमआरपी कम होना चाहिए।
दवा बाजार और हास्पिटल के मेडिकल पर दवाई एक दाम पर मिले, ताकि सभी लोगों को इसका फायदा हो सके। हास्पिटल में उपचार के दौरान मध्यमवर्गीय परिवारों की मोटी सेविंग खर्च हो जाती है।
एमवायएच में आनलाइन हो ओपीडी व्यवस्था
एमवाय अस्पताल में ओपीडी के दौरान लंबी कतारें रसीद कटवाने के लिए लगती हैं। मरीज के साथ अटेंडर को भी घंटों रसीद कटवाने के लिए बैठना पड़ता है। आशुतोष जायसवाल का कहना है कि ओपीडी की बुकिंग को आनलाइन किया जाना चाहिए, ताकि मरीज घर बैठे समय बुक कर सके। आनलाइन रसीद कट जाए तो मरीज को अधिक समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आनलाइन अपाइंटमेंट होने से मरीज को डाक्टर की जानकारी भी मिल जाएगी।
काम के घंटे हो तय
दवाइयों की मार्केटिंग करने वाले विशाल पटेल का कहना था कि नौकरियों में काम के घंटे तय नहीं हैं। आठ के बजाय 12 से 15 घंटे काम करना पड़ता है। इससे कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। सरकार को काम के घंटे तय करने चाहिए, ताकि प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी भी मानसिक रूप से स्वस्थ रह सके। आइटी कंपनी और सरकारी कार्यालयों में पांच दिन कामकाज होता है।