नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला की तरफ से भारत में मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करने को लेकर प्रतिबद्धता दिखाए बगैर सरकार टेस्ला की किसी भी मांग पर विचार के मूड में नहीं है। इससे जाहिर हो गया है कि आगामी बजट में इलेक्ट्रिक कार के आयात पर लगने वाले शुल्क में कोई कटौती नहीं की जाएगी।
टेस्ला सरकार पर इलेक्ट्रिक कार के आयात पर शुल्क में कटौती करने के लिए दबाव बना रही है। स्थिति यह है कि महाराष्ट्र सरकार ने तो केंद्र सरकार को पत्र तक लिखकर शुल्क कटौती की टेस्ला की मांग मानने का अनुरोध किया है। पश्चिम बंगाल, पंजाब व तेलंगाना जैसे राज्य भी टेस्ला के पक्ष में दिख रहे हैं।
उधर भारी उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक टेस्ला भारत में मैन्यूफैक्चरिंग की इच्छुक होती तो निश्चित रूप से ऑटोमोबाइल्स निर्माण से जुड़ी प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम के तहत आवेदन करती, लेकिन टेस्ला ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा भी टेस्ला ने भारत में निवेश और मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर अब तक कोई इच्छा जाहिर नहीं की है।
टेस्ला चाहती है कि इलेक्ट्रिक कार पर आयात शुल्क कम कर दिया जाए और वह भारत में अपनी कार को लाकर बेच सके। सूत्रों के मुताबिक सरकार मेक इन इंडिया और मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए चौतरफा प्रयास कर रही है, ऐसे में इलेक्ट्रिक कार पर आयात शुल्क कम करके घरेलू मैन्यूफैक्चरर्स को सरकार हतोत्साहित नहीं कर सकती है।
वर्ष 2017 में मोबाइल फोन निर्माता एप्पल ने भी सरकार से कुछ ऐसी ही मांग की थी जिसे मोदी सरकार ने नकार दिया था। अभी भारत में इलेक्ट्रिक कार के आयात पर 100 फीसद का शुल्क है इसलिए इसका आयात कर उसे भारत में बेचना आसान नहीं होगा। भारी उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सरकार का रुख पहले दिन से साफ है कि भारत में निवेश करने और मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने वाली कंपनियों का स्वागत है। ऐसा नहीं है कि सामान लाकर बेचने वाली कंपनियों को सरकार कभी समर्थन नहीं देगी।