शराब नीति केस में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की जमानत पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। 20 जून को राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दे दी थी। 21 जून को ED ने हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी।
25 जून को इस पर सुनवाई हुई। ED ने तब हाईकोर्ट से कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने हमारा पक्ष ठीक से नहीं सुना। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा- सही ढंग से बहस नहीं हुई थी, इसलिए राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को रद्द करते हैं।
कोर्ट ने कहा- फैसले को देखकर ऐसा लगता है कि केजरीवाल को जमानत देते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। अदालत को ED को बहस करने के लिए पर्याप्त अवसर देना चाहिए था।
दिल्ली CM केजरीवाल पर ED के अलावा CBI का केस भी चल रहा है। शराब नीति में भ्रष्टाचार को लेकर CBI ने उन्हें 26 जून को गिरफ्तार किया था।
12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को ED के केस में अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। इस पर सुनवाई की तारीख सामने नहीं आई है।
हाईकोर्ट की 5 टिप्पणियां
ट्रायल कोर्ट की टिप्पणी पर विचार नहीं किया जा सकता, पूरी तरह से अनुचित है। यह दर्शाता है कि ट्रायल कोर्ट ने सामग्री पर अपना दिमाग नहीं लगाया है।
इस बात पर मजबूत तर्क दिया गया कि जज ने धारा 45 PMLA की दोहरी शर्त पर विचार-विमर्श नहीं किया।
ट्रायल कोर्ट को ऐसा कोई निर्णय नहीं देना चाहिए जो हाईकोर्ट के फैसले से उलट हो।
ट्रायल कोर्ट ने धारा 70 PMLA के तर्क पर भी विचार नहीं किया है।
कोर्ट का यह भी मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के लिए जमानत दी थी। एक बार जब उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट से खारिज कर दी गई है, तो यह नहीं कहा जा सकता है कि कानून का उल्लंघन करके उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया था।
केजरीवाल के हाईकोर्ट को दिए जवाब की बड़ी बातें...
ED कस्टडी के दौरान जांच अधिकारी ने कोई खास इंट्रोगेशन (पूछताछ) नहीं किया। एक राजनीतिक विरोधी को परेशान और अपमानित करने के लिए अवैध रूप से गिरफ्तारी की गई है।
केजरीवाल ने कहा कि ED की दलीलें कानून के हिसाब से ठीक नहीं थीं। ED की दलीलें असंवेदनशीलता के रवैये को दर्शाती हैं। PMLA की धारा 3 के तहत मेरे खिलाफ कोई केस नहीं बनता है। और मेरे जीवन और स्वतंत्रता को झूठे और दुर्भावनापूर्ण मामले से बचाया जाना चाहिए।
ED ने अन्य सह आरोपियों पर दबाव बनाया और उनसे ऐसे बयान दिलवाए, जिससे केस में ED को फायदा हुआ। ट्रायल कोर्ट का जमानत ऑर्डर न केवल तर्कपूर्ण था, बल्कि यह दर्शाता है कि दोनों पक्षों की दलीलों पर विवेक के आधार पर फैसला सुनाया गया था।
ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि AAP को साउथ ग्रुप से रिश्वत मिली है। इस रिश्वत का गोवा चुनाव में इस्तेमाल तो दूर की बात है। AAP के पास एक भी रुपया नहीं मिला। इस संबंध में लगाए गए आरोप को साबित करने के कोई भी ठोस सबूत नहीं है।