करीब छह महीने बाद एक बार फिर से झारखंड की कमान हेमंत सोरेन संभालेंगे। बुधवार को तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में विधानसभा चुनाव से 4 महीने पहले सीएम चंपाई सोरेन ने शाम 7.20 बजे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और 45 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा।
खबर है कि 7 जुलाई को हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हेमंत तीसरी बार झारखंड के सीएम बनेंगे। अर्जुन मुंडा और शिबू सोरेन के बाद वो तीसरे नेता हैं, जो तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे।
बुधवार को इस्तीफे पर कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि कांग्रेस और गठबंधन दलों की इच्छा है कि हेमंत सोरेन फिर से राज्य की बागडोर संभालें। इसपर चंपाई सोरेन ने कहा कि गठबंधन का जो फैसला था, उसी के अनुसार मैंने काम किया। वहीं, हेमंत सोरेन ने कहा कि चंपाई जी ने अपनी बात कह दी है। ये गठबंधन का फैसला है।
मंत्रिमंडल बदलाव की संभावना नहीं, बदल सकता है चंपाई का दायित्व
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार में मंत्रिमंडल में बदलाव की संभावना नहीं है। कांग्रेस के कोटे के मंत्रियों के नाम में फेरबदल नहीं होंगे। मंत्रिमंडल में एक सीट पहले से खाली है। इस्तीफा देने के बाद चंपाई शायद मंत्री न रहें। हालांकि उन्हें झामुमो का कार्यकारी अध्यक्ष या राज्य समन्वय समिति का चेयरमैन का अतिरिक्त दायित्व सौंपा जा सकता है।
2 फरवरी 2024 को वे सीएम बने थे चंपाई सोरेन
बता दें कि इस साल जनवरी में जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा था। इसके बाद चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिली थी। 2 फरवरी 2024 को वे सीएम बने थे। वहीं, अब हेमंत सोरेन जमानत पर जेल से बाहर आ गए है। ऐसे में एक बार फिर से हेमंत सोरेन सीएम के तौर पर वापसी कर सकते हैं।
सर्वसम्मति के बाद लिया गया निर्णय
चंपाई सोरेन ने कहा कि हमारे गठबंधन की बात है, दल के अंदर विचार करके निर्णय लिया जाता है। जब हमलोगों ने नेतृत्व परिवर्तन किया था, मुझे दायित्व सौंपा गया था। अब हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ गए है। गठबंधन में शामिल घटक दलों ने हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुनने का निर्णय लिया। इसके बाद हमने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
कांग्रेस के दबाव में चंपाई का इस्तीफा?
सियासी गलियारे में चर्चा है कि चंपाई सरकार में कांग्रेस मंत्रियों-विधायकों का काम उतनी सहजता से नहीं हो रहा था, जितना हेमंत के कार्यकाल में हुआ करता था। कांग्रेस के साथ झामुमो के कई विधायकों का दबाव भी बदलाव को लेकर था। कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर हेमंत सोरेन से जेल में मिले भी थे। सोनिया गांधी ने भी सोमवार को हेमंत से बातचीत कर अपनी भावना से अवगत करा दिया था। सोनिया की सलाह थी कि लोकसभा चुनाव में झारखंड में इंडिया ब्लॉक को जो कामयाबी मिली है, उसके पीछे हेमंत सोरेन का ही चेहरा रहा है। इसलिए विधानसभा चुनाव भी उनके चेहरे पर लड़ा जाना चाहिए। इंडिया ब्लॉक को लगता था कि चंपाई सोरेन के सीएम रहते वोटर कन्फ्यूज हो सकते हैं।
गठबंधन नेताओं के दबाव में चंपाई को पद से इस्तीफा देना पड़ा। सत्ता के गलियारे में यह भी चर्चा है कि हेमंत सोरेन खुद भी सीएम बनना चाह रहे थे। नेतृत्व परिवर्तन के फैसले से चंपाई खुश नहीं हैं। विधायक दल की बैठक में उनके चेहरे पर इसका तनाव साफ दिख रहा था, लेकिन उन्होंने पार्टी के एक अनुशासित सिपाही के तौर पर बतौर सीएम पांच माह काम किया है।