दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल की जमानत पर 24 घंटे के अंदर ही रोक लग गई। दिल्ली हाईकोर्ट की वेकेशनल बेंच ने शुक्रवार को ED की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा- हम दलीलों पर विचार कर रहे हैं। सोमवार-मंगलवार (24 या 25 जून) को हम फैसला सुनाएंगे। तब तक राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले पर रोक रहेगी।
दरअसल, 20 जून को शाम 8 बजे राउज एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी। जस्टिस न्याय बिंदु की बेंच ने कहा था कि ED के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सीधे सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने केजरीवाल को 1 लाख के बेल बॉन्ड पर जमानत दे दी थी।
लोअर कोर्ट के फैसले के विरोध में ED ने 21 जून को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस सुधीर जैन और जस्टिस रविंदर डुडेजा की बेंच में ED के वकील एसवी राजू ने कहा- लोअर कोर्ट का फैसला सही नहीं है। हमें दलीलें रखने का पूरा समय नहीं मिला।
ED की ओर से ASG एसवी राजू, केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी ने करीब 5 घंटे दलीलें रखीं। बेंच ने 5 घंटे की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया और सभी वकीलों से सोमवार (24 जून) तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है।
SG एसवी राजू (ED के वकील) की 4 दलीलें
मुझे पूरी तरह से मामले पर बहस करने की इजाजत नहीं दी गई। मुझे लिखित जवाब दाखिल करने के लिए दो से तीन दिनों का उचित समय नहीं दिया गया। ये गलत है। मेरा रिकॉर्ड अच्छा रहा है, लेकिन निचली अदालत ने कहा कि आधे घंटे में सब खत्म कीजिए, क्योंकि वह फैसला सुनाना चाहती थीं। मैं पूरी गंभीरता के साथ आरोप लगा रहा हूं।
ट्रायल कोर्ट का आदेश पूरी तरह से विकृत है क्योंकि यह PMLA की धारा 45 के प्रावधानों के विपरीत है। ट्रायल कोर्ट ने हमारी बातें ठीक से नहीं सुनी। कोर्ट ने जवाब को यह कहते हुए नहीं देखा कि यह बहुत बड़ा है। इससे अधिक विकृत आदेश कोई नहीं हो सकता।
ED ने गोवा विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी द्वारा अपराध की आय का इस्तेमाल करने के सबूत पेश किए हैं और 45 करोड़ रुपए का पता लगाया है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण निष्कर्षों को खारिज कर दिया, जिसमें 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने में केजरीवाल की कथित भूमिका भी शामिल थी।
क्या संवैधानिक कुर्सी पर बैठे रहना जमानत का आधार है? इसका मतलब है कि हर मंत्री को जमानत मिलेगी। इससे ज्यादा विकृत बात कुछ नहीं हो सकती। आदेश पारित होने के बाद हमने ऊपरी अदालत का रुख करने के लिए निचली अदालत से 48 घंटे के लिए स्थगन का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।
अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी (केजरीवाल के वकील) की 3 दलीलें...
अरविंद केजरीवाल के पास एक भी पैसा नहीं मिला। जांच एजेंसी को सबूत खोजने के लिए किसी आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता।
'ऐलिस इन वंडरलैंड' की तरह ED का भी विकृति का अपना अर्थ है। उनके लिए, इसका मतलब है कि त्रुटि विकृति है और जब तक ईडी के हर तर्क को शब्दशः दोहराया नहीं जाता, तब तक यह विकृति है।
ED का रुख है कि या तो मैं रास्ता दिखाऊंगा या फिर हाईवे। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में ED द्वारा उठाए गए सभी पहलुओं पर विचार किया गया है।
केजरीवाल के वकीलों ने कहा कि ईडी संविधान का अनुच्छेद 21 ईडी का पालन नहीं करती, वह किसी
व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्राथमिकता नहीं देती।
राऊज एवेन्यू कोर्ट के बेल ऑर्डर की 5 बातें...
ED के पास केजरीवाल के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। वह किसी भी तरह से सबूत हासिल करने के लिए वक्त ले रही है। यही बात अदालत को जांच एजेंसी के खिलाफ फैसला लेने के लिए मजबूर करती है कि वह पक्षपात के बिना काम नहीं कर रही है।
जस्टिस न्याय बिंदू ने कहा- ED केजरीवाल के उठाए कुछ मुद्दों पर चुप है, जैसे कि उनका नाम CBI केस या ECIR की FIR में नहीं है। केजरीवाल के खिलाफ आरोप कुछ सह-आरोपियों के बयानों के बाद सामने आए हैं। कोर्ट ने अमेरिका के संस्थापकों में से एक बेंजामिन फ्रैंकलिन के कोट का जिक्र किया- 'एक निर्दोष को सजा देने से बेहतर है कि 100 दोषी छूट जाएं'।
यह भी एक बड़ा फैक्ट है कि केजरीवाल को आज तक अदालत ने तलब नहीं किया है, फिर भी वे अभी भी चल रही जांच के बहाने ED के कहने पर न्यायिक हिरासत में हैं। ED यह स्पष्ट करने में विफल रहा है कि पूरी धनराशि का पता लगाने के लिए उसे कितना समय चाहिए।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि ED इस बारे में चुप है कि अपराध की आय का इस्तेमाल गोवा में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में कैसे किया है, जबकि लगभग 2 साल बाद भी इस पूरे अमाउंट का बड़ा हिस्सा पता लगाना बाकी है।
इसकी भी संभवाना है कि केजरीवाल के कुछ परिचित लोग किसी अपराध में शामिल हों या अपराध में शामिल किसी तीसरे व्यक्ति को जानते हों, लेकिन ED अपराध की आय के संबंध में उनके खिलाफ कोई जाहिर सबूत नहीं दे सकी है।
लोअर कोर्ट ने केजरीवाल के जमानत के लिए 2 शर्तें लगाईं
1. वे जांच में बाधा डालने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे।
2. जरूरत पड़ने पर अदालत में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।
ED ने कहा- हवा में जांच नहीं की, आप की दलील- केस फर्जी
ED के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कहा, 'ED ने हवा में जांच नहीं की है। केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। उन्हें बेल नहीं मिलनी चाहिए।
केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने दलील दी थी कि केजरीवाल के खिलाफ पूरा केस सिर्फ कल्पना पर आधारित है।
ASG एसवी राजू ने कोर्ट से रिक्वेस्ट की थी कि एक्साइज पॉलिसी के सेक्शन-45 भूल जाएं। बेल रिजेक्ट करने का मजबूत आधार है कि केजरीवाल ने अपने मोबाइल का पासवर्ड अब तक नहीं दिया है। हालांकि, कोर्ट ने ईडी की दलीलें खारिज करते हुए केजरीवाल को जमानत दे दी