जहां सा रे गा मा पा को 25 साल पूरे हो चुके हैं, वहीं जी टीवी ने संगीत की ताकत के जरिए मानवता को महामारी की निराशा से बाहर लाने के लिए इंडस्ट्री का अपनी तरह का पहला अभियान एक देश एक राग शुरू किया है। इस अनोखे अभियान की शुरुआत फेसबुक पर 25 घंटे के म्यूजिक मैराथॉन से हुई और इसका समापन ‘एक देश एक राग' नाम के एक भव्य कॉन्सर्ट के साथ हुआ, जिसमें सारेगामापा के सबसे प्रतिष्ठित चेहरे - उदित नारायण, शान, रिचा शर्मा, हिमेश रेशमिया, जावेद अली, सौरव गांगुली, कमाल खान, विजय प्रकाश और देबोजीत समेत कई अन्य गायक अपने-अपने घरों से गाते हुए नजर आएइस कॉन्सर्ट में देश के कोने-कोने से कुछ सबसे बड़े गायक, कंपोजर्स, संगीतकार और प्रतिभागी शामिल हुए जबकि शान ने इस कॉन्सर्ट को होस्ट किया। एक दिलचस्प चर्चा के दौरान शान ने सा रे गा मा पा से जुड़ी अपनी यादों, होस्टिंग में वापस लौटने और लॉकडाउन समेत कई बातों पर चर्चा की।
- इस लॉकडाउन के दौरान आप क्या कर रहे हैं?
सौभाग्य से यहां मैंने अपने परिवार के साथ घर पर ही एक बढ़िया सेटअप तैयार कर लिया है, लेकिन इस लॉकडाउन में मैंने टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल सीखा है। मुझे कहना होगा कि लॉकडाउन से पहले मैं टेक्नोलॉजी में बिल्कुल पीछे था। इस मामले में मेरी सारी दिक्कतों को कोई और हल करता था, लेकिन अब मैं खुद से ही सारे गैजेट्स और सोशल मीडिया पर काम करता हूं। असल में, मुझे खुशी है कि मुझे यह सब सीखने का मौका मिला, और साथ ही मैं प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता वाले संदेश और इस वैश्विक महामारी से लड़ने के तरीके से सहमत हूं।
आज हम ऐसी बहुत सारी चीजें कर सकते हैं, जो हम नहीं कर पाते थे क्योंकि हमें वक्त की रफ्तार का पता ही नहीं चलता थाइन दिनों मेरी दिनचर्या में कुछ रियाज़, वर्कआउट, कंटेंट स्ट्रीम करना और वर्चुअल माध्यम से लोगों से बातचीत करना शामिल होता है। बस, इसी तरह सारा दिन निकल जाता है! मैं कुछ बेसहारा लोगों के लिए राशि इकट्ठा करने के लिए भी समय दे रहा हूं और मैं आकांक्षा फाउंडेशन और हेल्पएज इंडिया जैसी स्वयंसेवी संस्थाओं से भी जुड़ा हूं। लोगों के सपोर्ट और ऑनलाइन कॉन्सर्ट के जरिए हम करीब 6 लाख रुपए जुटा पाए और इस मुश्किल घड़ी में मैं अपने छोटे-से प्रयास को लेकर बेहद खुश हूं।"
- सारेगामापा ने हाल ही में "एक देश एक राग' अभियान के साथ अपनी 25वीं वर्षगांठ मनाई। आप लंबे समय से इस म्यूज़िकल फ्रैंचाइज़ से जुड़े हुए हैं। तो ऐसे में इस शो के 25 वर्ष पूरे होने पर आपको एक होस्ट और एक जज के रूप में कैसा महसूस हो रहा है?
2002 में जब मैंने इसमें शुरुआत की थी तो यह शो सारेगामापा के रूप में दोबारा शुरू किया गया थामेरे आने से पहले इस शो का फॉर्मेट बिल्कुल अलग था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने लंबे समय तक इस शो को होस्ट करता रहूंगा क्योंकि उस समय तक, शो के सीजन्स बनाने का चलन शुरू नहीं हुआ थालेकिन यह शो साल भर चलता रहा और मैं कभी जज बनकर तो कभी गेस्ट बनकर इस शो में आता रहा। असल में जब मैंने होस्टिंग खत्म की, तब भी इस शो में वापस आना हर बार खुशनुमा अनुभव होता था। सारेगामापा ने मुझे मेरी पहचान दी और यह हमेशा मेरी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा रहेगा
आपने सारेगामापा की 25वीं वर्षगांठ किस तरह मनाई?
हमने इसे बहुत जोर-शोर से सेलिब्रेट किया, जिसमें 'सारेगामापा – एक देश एक राग' के लिए इस प्रतिष्ठित शो से जुड़े कई छोटे-बड़े नाम एक साथ आएइसकी शुरुआत सोशल मीडिया पर एक लाइव-ए-थॉन से हुई थी, जिसके बाद एक टेलीविजन कॉन्सर्ट हुआमैं कह सकता हूं कि यह एक बिल्कुल अलग अनुभव था! असल में यह सब देश में जारी लॉकडाउन के दौरान हुआयह इसलिए भी खास था, क्योंकि सभी लोगों ने अपने घरों पर होने के बावजूद बहुत मेहनत की। मैं उम्मीद करता हूं कि दर्शकों को भी यह पसंद आया होगा और उन्होंने हमारे इस छोटे-से प्रयास को बहुत सराहा होगा।
- सारेगामापा एक देश एक राग के होस्ट के रूप में आपको कैसा महसूस हुआ?
मुझे ऐसा लगा जैसे जिंदगी घूमकर फिर वहीं आ गई है। यह बहुत बढ़िया अनुभव था, क्योंकि वर्षों बाद मैं उस शो को होस्ट कर रहा था, जहां से मेरे सफर की शुरुआत हुई थी। असल में इस शो से जुड़े सभी लोगों ने बहुत प्रयास और कड़ी मेहनत की और जी टीवी पर इसके प्रसारण के दौरान यह बात साफ नजर आई। सच कहूं तो टेलीविजन से मुझे बहुत सारा प्यार और सहयोग मिला है और 'सारेगामापा-एक देश एक राग' के होस्ट के रूप में वापस लौटकर मुझे बेहद खुशी हुई।
- आपको एक बेहतरीन रियलिटी टीवी होस्ट माना जाता है। इसे लेकर आप क्या महसूस करते हैं। क्या आप टीवी पर होस्ट के रूप में वापस आना चाहेंगे?
मुझे लगता है कि रियलिटी टीवी होस्ट करने के हिसाब से मेरी उम्र थोड़ी ज्यादा हो गई है। मेरी आंखें थोड़ी कमजोर हो गई हैं इसलिए मैं चश्मा पहनता हूं और टेलीप्रॉम्प्टर भी मेरे लिए एक समस्या है। मुझे नहीं पता कि मैं बेस्ट होस्ट था या नहीं, लेकिन एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि उन दिनों में मुझे बहुत कड़ी मेहनत और प्रयास करने पड़ते थे। मेरी हिंदी भी उतनी अच्छी नहीं थी और हमारी मदद के लिए उस समय टेलीप्रॉम्प्टर्स भी नहीं हुआ करते थे। हमें प्रतिभागियों के परफॉर्म करने के दौरान ही उनके बाजू में खड़े होकर उनका हौसला बढ़ाना पड़ता था। हमें हर लाइन अच्छी तरह याद करनी पड़ती थी। गलती के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी और सबकुछ खुद ही करना पड़ता था। इसलिए मुझे हर लाइन याद रखनी पड़ती थी और इसे बार-बार उसी सहजता के साथ बोलना पड़ता था
- क्या आप जल्द ही किसी नए एल्बम के साथ लौटने की योजना बना रहे हैं?
इस समय मैं किसी एल्बम पर काम नहीं कर रहा हूं लेकिन मैं जो भी नई धुनें कंपोज़ करता हूं, उसे समय-समय पर अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट करता रहता हूं। ईमानदारी से कहूं, तो मुझे नहीं लगता कि मेरी पीढ़ी के किसी और म्यूजिशियन ने उतने सिंगल गाने बनाए हैं जितने मैं बना चुका हूं, और मैं कुछ और गानों पर भी काम कर रहा हूंजब वो तैयार हो जाएंगे तो मैं उन्हें पोस्ट करता रहूंगा। मुझे लगता है कि आज के माहौल में एक म्यूजिशियन और एक कंपोज़र होने के नाते मुझे अपने काम के साथ प्रयोग करने की आजादी मिली है। मैं अपना प्रचार करने में यकीन नहीं रखता और मुझे उम्मीद कि लोग मेरे काम को पसंद करते हैं और मुझे सहज रूप से ही व्यूज़ और लोकप्रियता मिलती है। असल में मेरा मानना है कि आपकी गुडविल ही आपको आगे ले जाती है और मैं लगातार उसी रास्ते पर चलता रहूंगा
- अंत में अपने फैंस और फॉलोअर्स को क्या संदेश देना चाहेंगे?
मैं सभी से यह कहना चाहूंगा कि जी टीवी पर सारेगामापा के 25 वर्षों को सेलिब्रेट करने के लिए हमारे साथ 'एक देश एक राग' कॉन्सर्ट में शामिल हो जाइए। जहां सभी इस महामारी के दौरान अपने घरों पर रह रहे हैं, वहीं लोगों का मूड ठीक करने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए यह हमारी ओर से एक छोटा-सा प्रयास हैमैं सभी से कहना चाहूंगा कि वे अपना ख्याल रखें और इस महामारी के दौरान अपने घरों में ही रहें।