जिला कलेक्टर का कमिश्नर को पत्र
जिला कलेक्टर ने कमिश्नर को लिखे पत्र में बताया कि प्राचार्य द्वारा विद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों के शैक्षणिक विस्तार में सुधार हेतु कोई प्रयास नहीं किया गया। संस्था में पदस्थ शिक्षकों से समुचित कार्य नहीं लिया गया। साथ ही दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया। इसके अलावा प्रभारी प्राचार्य के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही व उदासीनता बरती गई। जिसके परिणाम स्वरुप इनके विद्यालय का कक्षा 12वीं का परिणाम शून्य रहा है।
इसी विकासखंड से शून्य परिणाम का एक और मामला
यह मामला तब और भी चौंकाने वाला हो जाता है जब पता चलता है कि इसी विकासखंड के पिपरानी गांव के हाई स्कूल में भी 10वीं के सभी 41 बच्चे फेल हो गए थे। इसके अलावा कई और स्कूलों का रिजल्ट भी सिर्फ 2 से 5 फीसदी ही रहा है। इस घटना ने आदिवासी जिलों में शिक्षा के स्तर पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
अभिभावकों का कहना
इस मामले में अभिभावकों का कहना है कि जब नकल कराई जाती है तब बच्चे पास हो जाते हैं। और जब सही मॉनिटरिंग की जाती है तो फेल हो जाते हैं। उनका आरोप है कि अगर साल भर सही से पढ़ाई कराई जाए और शिक्षकों पर नजर रखी जाए, तो ऐसी शर्मनाक स्थिति कभी नहीं आएगी।