नई दिल्ली । भारत अब संयुक्त राज्य अमेरिका से 30 प्रीडेटर ड्रोन प्राप्त करने के काफी करीब है। लंबे समय से इसकी प्रतीक्षा की जा रही है। करीब 21,000 करोड़ रुपये के इस अधिग्रहण पर चर्चा के लिए सोमवार को रक्षा मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक होगी। रक्षा मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने को बताया है कि इसको लेकर रक्षा सचिव बैठक की अध्यक्षता करेंगे जिसमें वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। इस बैठक में अगर अधिग्रहण को मंजूरी मिल जाती है, तो इसे रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद को भेज दिया जाएगा।
फिर अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे अंतिम मंजूरी देने के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी को भेजा जाएगा। ड्रोन उन्नत प्रणालियों और हथियारों के पैकेज से लैस होंगे और लंबी दूरी की निगरानी और सटीक हमलों को सक्षम करेंगे। भारत की ड्रोन खरीदारी सूची में एमक्यू-9बी के वेरिएंट शामिल हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में से प्रत्येक को अनुकूलित निर्देशों के साथ प्रत्येक को 10 ड्रोन मिलेंगे। भारतीय नौसेना पहले से ही दो निहत्थे सीगार्डियन ड्रोन का उपयोग कर रही है जिसे उसने पिछले साल हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अमेरिका से पट्टे पर लिया था।
इन ड्रोनों के अधिग्रहण के लिए भारतीय नौसेना प्रमुख है। रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 और रक्षा खरीद नियमावली 2009 के तहत हथियार प्रणालियों को पट्टे पर देने का प्रावधान किया गया है। इससे भारत को खर्च में कटौती करने में मदद मिलती है, क्योंकि रखरखाव की जिम्मेदारी भी विक्रेता के पास होती है। पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय सशस्त्र बल निगरानी आवश्यकताओं के लिए अमेरिकी प्रणालियों में विश्वास दिखा रहे हैं। भारतीय नौसेना पहले से ही नौ पी-8आई लंबी दूरी के निगरानी विमानों का उपयोग कर रही है और अगले कुछ वर्षों में नौ और मिलने की उम्मीद है।