भारत ने बुधवार को स्वेदशी रुद्रम-II एयर-टु-ग्राउंड मिसाइल का सफल परीक्षण किया। ओडिशा के तट से सुखोई-30 MKI फाइटर प्लेन से इसे लॉन्च किया गया। DRDO की बनाई 350 किमी की स्ट्राइक रेंज वाली ये मिसाइल नई जेनेरेशन की एंटी-रेडिएशन मिसाइल है, जो जमीन पर बने दुश्मन के सर्विलांस, कम्युनिकेशन, रडार और कमांड और कंट्रोल सेंट्रर्स को नष्ट कर सकती है।
यह लॉन्चिंग से पहले और उसके बाद भी टारगेट को लॉक कर सकती है। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, फ्लाइट टेस्ट में इसके सभी रेंज ट्रेकिंग इंस्ट्रूमेंट जैसे- इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम, रडार और टेलिमेट्री स्टेशन पर नजर रखी गई। इसकी सभी तकनीकों का प्रदर्शन अच्छा रहा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय एयरफोर्स और इंडस्ट्री पार्टनर्स को रुद्रम-II के सफल परीक्षण पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस सफल टेस्ट से भारतीय सुरक्षाबलों में रुद्रम-II सिस्टम की भूमिका ताकत बढ़ाने वाली मिसाइल के तौर पर तय हो गई है।
2020 में हुआ था रुद्रम-I का टेस्ट, रुद्रम-III भी निर्माणाधीन
इससे पहले अक्टूबर 2020 में रुद्रम-I मिसाइल का फाइनल टेस्ट किया गया था। इस मिसाइल की रेंज 150 किमी थी और INS-GPS नेविगेशन सिस्टम से लैस थी। ये मिसाइलें लंबी दूरी से दुश्मन के एयर डिफेंस को तबाह करने के लिए बनाई गई हैं। इनकी मदद से भारतीय एयरफोर्स बिना किसी बाधा के बम बरसाने के मिशन को पूरा कर सकेंगे। 550 किमी रेंज वाली रुद्रम-III भी निर्माणाधीन है।
इस मिसाइल को भारतीय परंपरा को कायम रखते हुए संस्कृत शब्द रुद्रम दिया गया, क्योंकि इसमें ARM (एंटी-रेडिएशन मिसाइल) भी शामिल है। इस शब्द के कई अर्थ हैं। इनमें एक अर्थ दुखों को दूर करने वाला है। सही मायनों में रुद्रम मिसाइल हवाई युद्ध में दुखी करने वाले दुश्मन के राडार को उड़ाकर अपने नाम को सही साबित कर सकती है।
इसकी खासियत:
यह ऐसी स्वदेशी पहली मिसाइल है, जो किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़ सकती है। साथ ही मिसाइलें नष्ट कर सकती है।
यह रेडियो फ्रीक्वेंसी छोड़ने या रिसीव करने वाले किसी भी टारगेट को निशाना बना सकती है।
लॉन्च स्पीड 0.6 से 2 मैक यानी 2469.6 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा है।
इसकी रेंज इस बात पर निर्भर करती है कि फाइटर जेट कितनी ऊंचाई पर है। इसे 500 मीटर से लेकर 15 किलोमीटर की ऊंचाई से लॉन्च किया जा सकता है। इस दौरान यह मिसाइल 350 किलोमीटर के दायरे में मौजूद हर टारगेट को निशाना बना सकती है।
अगर दुश्मन ने रडार सिस्टम को शटडाउन कर दिया है, तो भी रुद्रम उसे निशाना बनाएगी।
SEAD ऑपरेशंस यानी Suppression of Enemy Air Defence को अंजाम दे सकती है। इस ऑपरेशन के तहत दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाता है।
हवाई युद्ध में इसका होना कितना महत्वपूर्ण है?
रुद्रम को SEAD मिशन की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए किया गया है। इस तरह के मिशन आम तौर पर दुश्मन के राडार को तबाह करने और अपने विमानों की मारक क्षमता बढ़ाने के साथ ही उनका सरवाइल बढ़ाने में मदद करते हैं।
दुश्मन के वार्निंग राडार, कमांड और कंट्रोल सिस्टम, रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करने वाले सर्विलांस सिस्टम और एंटी-एयरक्राफ्ट हथियारों से कनेक्टेड कम्युनिकेशन सिस्टम को तबाह करना किसी भी युद्ध में जीत की पहली सीढ़ी माना जा सकता है।
क्या भारत एंटी-रेडिएशन मिसाइल बनाने वाला पहला देश है?
नहीं। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और ईरान के पास पहले से ही अपनी एंटी-रेडिएशन मिसाइलें हैं। अमेरिका के करीब 40 साल से AGM-88 HARM है। यह एयर क्रू के कम से कम इनपुट के साथ रडार एंटिना को तबाह करता है।
ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स की एयर-लॉन्च एंटी रेडिएशन मिसाइल (ALARM) का इस्तेमाल भी दुश्मन के खिलाफ SEAD मिशन में होता है। सोवियत मिसाइल Kh-58 की रेंज 120 किमी की है और इसमें स्पेसिफिक एयर डिफेंस राडार को टारगेट करने की क्षमता है।
ताईवान की Sky या TC-2 एक मीडियम-रेंज राडार-गाइडेड एयर-टू-एयर मिसाइल है, जो मल्टीपल टारगेट्स को निशाना बना सकती है। ईरान नेवी की Hormuz-2 बैलिस्टिक एंटी-रेडिएशन मिसाइल समुद्र में दुश्मन को तबाह करने में कारगर है। इसकी रेंज 300 किमी के करीब है।
चीन ने AEW और AWACS टारगेट्स से मुकाबला करने के लिए FT-2000 सिस्टम बनाया है। यह सिस्टम HQ-9 पर आधारित है जो S-300PMU से संचालित होता है। इन एंटी-रेडिएशन मिसाइलों की मार्केटिंग पाकिस्तान समेत कई देशों में की जा चुकी है।