विधान सभा में हिस्सेदारी पाने की लड़ाई शुरू
तरारी विधानसभा सीट पाने की जंग अगर जीत गए तो एनडीए गठबंधन की राजनीति का अंग बने रहेंगे। भाजपा अगर यह सीट निकाल नहीं पाई तो इसके बरक्स वह सुनील पांडे पर विचार कर सकती है। और ऐसा नहीं होता है तो पांच सांसदों के हवाले से आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी हिस्सेदारी तय कर सकते हैं। पांच सांसदों के हवाले से 25 विधान सभा सीटों की दावेदारी ठोक सकते हैं। और अगर सम्मानजनक हिस्सेदारी के नाम पर अगर उनकी हिस्सेदारी नही मिलती है तो उन्होंने कहा ही है कि सारे विकल्प खुले हैं।
पशुपति पारस के सामने क्या है विकल्प?
एनडीए में रह कर अपनी हिस्सेदारी से संतुष्ट नहीं होते तो तो इनका विकल्प क्या हो सकता है ? पहली कोशिश होगी कि महागठबंधन में शामिल हो कर अपनी हिस्सेदारी तय करेंगे। दूसरा विकल्प 243 सीटों में ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार खड़ा कर एनडीए को डैमेज करने की होगी। वहीं अगर भतीजे चिराग पासवान के विधान सभा चुनाव 2020 की राह चलेंगे तो कुछ नेताओं विरुद्ध टारगेटेड उम्मीदवार खड़ा कर उनका नुकसान करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि चिराग पासवान को तो वर्ष ,2020 के विधान सभा चुनाव में भाजपा के नामवर नेता लोजपा की छतरी तले लड़े थे। क्या आरएलजेपी को भी तगड़ा उम्मीदवार किसी दल से मिलेगा? इस सवाल का जवाब इस बात पर आ टिकेगा कि आखिर उनके बदले तेवर की पटकथा लिख कौन रहा है ?