‘दीपावली से लेकर ग्यारस तक जुआ खेलने की शिकायत पर रेड से पहले पता कर लिया जाए कि आसपास कोई तालाब, नदी, नहर या फिर कुआं तो नहीं है। जुआ खेल रहे लोगों को पुलिस की मौजूदगी का एहसास कराया जाए ताकि वे खुद भाग जाएं।’
जुआरियों को लेकर ये अजीब गाइड लाइन जबलपुर पुलिस की है। एसपी संपत उपाध्याय ने सभी थाना प्रभारियों को बकायदा निर्देश जारी किए।
आदेश में लिखा - पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल पर यदि जुआ चल रहा है तो वहां भी कार्रवाई न की जाए, पुलिस की उपस्थिति का वहां भी एहसास करवाया जाए ताकि वे खुद भाग जाएं। दरअसल रेड की कार्रवाई के दौरान जुआरियों के भागने के बीच होने वाली घटनाओं को देखते हुए ये आदेश जारी किया गया था। इस आदेश को मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सरकार का दिवाली ऑफर बताया जबकि बीजेपी ने कांग्रेस नेताओं को अपने गिरहबान में झांकने की सलाह दे डाली। 29 अक्टूबर को जारी आदेश पर विवाद बढ़ा हुआ तो ड्राफ्टिंग की गलती बताते हुए 30 अक्टूबर को आदेश वापस ले लिया।
एसपी का जवाब-कार्रवाई से ज्यादा लोगों की जान कीमती कांग्रेस द्वारा सवाल खड़े करने के जवाब में एसपी उपाध्याय ने एक्स पर लिखा, 'पुलिस कार्रवाई के दौरान दुर्घटना रोकने के उद्देश्य से जारी आदेश की ड्राफ्टिंग त्रुटि सुधार करते हुए संशोधित आदेश जारी किए गए हैं। जबलपुर पुलिस अवैध गतिविधियों के विरुद्ध कड़ी वैधानिक कार्रवाई के लिए संकल्पित है और लगातार कार्रवाई कर रही है।' एसपी ने कहा कि रेड के दौरान कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें लोगों की जान चली गई। कार्रवाई से ज्यादा लोगों की जान कीमती है, इसकी परवाह करते हुए यह आदेश जारी किया।
भाजपा विधायक बोले- कांग्रेस अपने गिरहबान में झांके सिहोरा विधायक संतोष बरकड़े ने कहा- जब कभी पुलिस जुआ फड़ पर रेड मारती है तो जुआरी भागते हैं। इस दौरान दुर्घटनाएं भी होती हैं, उसी के मद्देनजर यह आदेश जारी किया गया होगा। जबलपुर पुलिस अपराध और अपराधियों पर लगाम लगा रही है। कांग्रेस इस तरह का आरोप लगाने से पहले यह जान ले कि जब उनकी सरकार थी, उस दौरान खुलेआम सड़कों पर जुआ चलता था। पुलिस जानकर भी कार्रवाई इसलिए नहीं करती थी कि सरकार का दबाव था। कांग्रेस नेताओं को अपने गिरहबान में झांकना चाहिए।