जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 जुलाई को सेना के काफिले पर आतंकवादी हमला हुआ था। घटना की जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि, जब भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया तो 22 गढ़वाल राइफल्स के जवान पहले तो घबरा गए, लेकिन उन्होंने तुरंत खुद को संभालते हुए अपने घायल साथियों की रक्षा की।
इसके लिए जवानों ने 5000 से अधिक राउंड गोलियां चलाईं और आतंकवादियों को कठुआ के जंगल में पहाड़ियों पर भागने पर मजबूर कर दिया। आतंकी हमले में 22 गढ़वाल राइफल्स के पांच जवान शहीद हो गए और पांच घायल हुए ।
पूछताछ के लिए 26 स्थानीय निवासी हिरासत में
NIA की एक टीम घटना स्थल पर पहुंच गई है और जांच में पुलिस की सहायता कर रही है। घटना की जांच के लिए कठुआ जिले के माचेडी-बिलावर इलाके से 26 स्थानीय निवासियों को हिरासत में लिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि, "इस वक्त सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF के जवान आतंकवादियों को पकड़ने के लिए क्षेत्र के बीहड़ इलाकों और जंगलों की तलाशी ले रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी पकड़ा या मारा नहीं गया है।"
भारी बारिश ने ड्रोन और हेलिकॉप्टर के जरिए हवाई निगरानी को मुश्किल बना दिया है। अधिकारियों ने बताया कि, हमले के ठीक बाद सेना के जवानों ने अतिरिक्त बल पहुंचने तक लगातार दो घंटे से अधिक समय तक गोलीबारी की।
घटनास्थल पर मिले सबूतों की जांच
अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद साक्ष्यों, खून से सने हेलमेट, गोलियों के खोखे और टूटी विंडस्क्रीन और पंचर टायर वाले वाहनों की जांच कर रहे हैं। इसके अलावा घायल सैनिकों से बात करके ये समझने की कोशिश की जा रही है कि 8 जुलाई की दोपहर को आखिर क्या हुआ था। एक अधिकारी ने बताया कि माना जा रहा है कि तीन आतंकवादी थे, जिन्होंने दो अलग-अलग स्थानों से सेना के वाहन और जवानों को निशाना बनाया।
जैश-ए-मोहम्मद के शैडो ग्रुप ने ली हमले की जिम्मेदारी
एक अधिकारी ने मीडिया एजेंसी PTI से बातचीत में बताया कि, "भारतीय सेना के गढ़वाल राइफल्स के सैनिकों ने आतंकवादियों पर 5,189 राउंड की बौछार की, जिससे उन्हें घटनास्थल से भागने पर मजबूर होना पड़ा। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के एक शैडो ग्रुप कश्मीर टाइगर्स ने ली है।
जम्मू में एक महीने के भीतर पांचवां हमला
यह हमला, एक महीने के अंदर जम्मू में हुआ पांचवां हमला है । जम्मू इलाका कश्मीर घाटी की तुलना में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण क्षेत्र है। यहां आतंकी हमले में बढ़ोतरी होना स्थानीय लोगों के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय है।