भोपाल । मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने किसान कानूनों को वापस लेने को किसानों के कड़े संघर्ष की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि यह लोगों की जीत है, जिसने एक अहंकारी और जिद्दी सरकार को झुका दिया। इससे पहले शुक्रवार को सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के नाम संदेश जारी कर तीनों कानून रद्द करने की घोषणा की।
इन किसान कानूनों को लेकर पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में किसान एक साल से अधिक समय से सड़कों पर थे। कमलनाथ ने कहा कि पिछले साल सितंबर में संसद ने तीन कृषि कानून पारित किए थे। इनके विरोध में एक साल से अधिक समय से देशभर के लाखों किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे। सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे। बारिश, ठंड, गर्मी में भी किसान इन कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस आंदोलन में 600 से अधिक किसानों की मौत हुई। किसानों को इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान प्रताडऩा भी झेलनी पड़ी। कई-कई रातें सड़कों पर गुजारना पड़ी। उन्हें तरह-तरह के उलाहने भी सहने पड़े। कभी उन्हें आतंकवादी, कभी देशद्रोही, कभी दलाल, कभी अन्य नामों से संबोधित किया गया, लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए।
प्रकाश पर्व के दिन घोषणा का स्वागत
कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया। उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी। आखिर 1 वर्ष बाद ऐतिहासिक दिन गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, हम इसका स्वागत करते हैं। यदि यह निर्णय पहले ही ले लेते, सरकार अपना अहंकारी व अडिय़ल रवैया पहले ही छोड़ देती, तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी।
चुनावों में सिखाए सबक का नतीजा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जिन किसानों को भाजपा के लोग कृषि कानूनों के विरोध करने के कारण कांग्रेस समर्थक, देशद्रोही, दलाल, आतंकवादी तक कह रहे थे, यह उनकी जीत है। जनता यदि इसी प्रकार भाजपा को चुनावों में सबक सिखाती रही तो उसकी इसी प्रकार जीत होती रहेगी। अब मोदी सरकार को इन कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान देशभर में किसानों पर दर्ज मुकदमे भी वापस लेना चाहिए।