कानपुर । इत्र कारोबारी पीयूष जैन की मुसीबतें अभी कम नहीं होने वाली हैं। दो सौ करोड़ कैश को बचाने के लिए उसके हथकंडे फेल साबित होंगे। डीजीजीआई के साथ अब आयकर विभाग भी पीयूष से सवाल-जवाब की तैयारी में है। अभी तक की स्थिति के अनुसार पीयूष पर 107 फीसदी टैक्स व पेनाल्टी लगनी तय मानी जा रही है। यानी उसके पूरे 200 करोड़ सरकारी खजाने में चले जाएंगे और 14 करोड़ उसे अपने घर से भी देने पड़ेंगे। दिसंबर के आखिरी हफ्ते में जीएसटी खुफिया विंग डीजीजीआई ने शिखर पान मसाले और गणपति रोड कैरियर्स पर छापे मारे थे।
गणपति और शिखर से मिले सुराग के बाद डीजीजीआई ने आनंदपुरी स्थित पीयूष जैन की कोठी पर धावा बोला था। वहां गुप्त अलमारियों में छिपे 196 करोड़ रुपये नगद मिले। इत्र कारोबारी के कन्नौज के घर से भी 17 करोड़ रुपये बरामद हुए। जेल में बंद पीयूष अपनी काली कमाई को बचाने के लिए हर जुगत भिड़ा रहा है। उसने डीजीजीआई के साथ-साथ एसबीआई को लिखकर दिया है कि उसके पास से बरामद रकम जीएसटी चोरी की है। इसलिए टैक्स और पेनाल्टी सहित 52 करोड़ रुपये काट कर शेष राशि लौटा दी जाए। इसके पीछे मोडस आपरेंडी ये है कि जीएसटी जमा होते ही उसकी रकम से काली कमाई का ठप्पा हट जाएगा और शेष 150 करोड़ रुपये में 30 फीसदी इनकम टैक्स अदा कर बाकी पैसा न केवल बचा लेगा बल्कि काले से सफेद भी कर लेगा।
लेकिन आयकर विभाग ने उसकी मंशा पर पानी फेरने की तैयारी कर ली है। पीयूष जैन के पास से कैश मिला है लेकिन न तो कोई दस्तावेज हैं, न ही स्रोत की जानकारी है और न ही वह बयान देने को राजी है। साफ है कि उस पर तीसरा नियम यानी 107 फीसदी टैक्स लगेगा। इसका मतलब यह हुआ कि एसबीआई में केस प्रापर्टी के रूप में जमा 200 करोड़ में से पीयूष को एक रुपया नहीं मिलेगा, उल्टे उसे अपने पास से 14 करोड़ रुपये और भरने होंगे। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक आयकर अधिकारी केस हैंडओवर का इंतजार कर रहे हैं। डीजीजीआई द्वारा केस फाइल साझा करने के बाद पीयूष की पूरी रकम सरकारी खजाने में चली जाएगी। इस तरह के कालेधन पर टैक्स व पेनाल्टी की तीन श्रेणियां लगती हैं।