दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार की न्यायिक हिरासत आज खत्म हो रही है। 12 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें को बेल देने से इनकार कर दिया। जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि आपको जमानत देने का कोई ग्राउंड नहीं बनता।
बिभव कुमार पर 13 मई को सीएम आवास पर AAP सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप है। उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। तब से वे जेल में हैं। दिल्ली की एक अदालत ने 7 जुलाई को बिभव कुमार की न्यायिक हिरासत 16 जुलाई तक बढ़ाई थी।
मालीवाल की शिकायत के आधार पर बिभव कुमार के खिलाफ IPC की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 354बी (महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 341 (गलत तरीके से रोकने की सजा), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और धारा 509 (शब्द, इशारा या कार्य जिसका उद्देश्य किसी महिला की गरिमा का अपमान करना है) के तहत FIR दर्ज है।
हाईकोर्ट ने बिभव की याचिका को सुनवाई योग्य बताया था
बिभव कुमार ने ट्रायल कोर्ट से दो बार जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने 1 जुलाई को गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली बिभव कुमार की याचिका को स्वीकार कर लिया। जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने याचिका को सुनवाई योग्य बताते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
क्या है स्वाति मालीवाल मारपीट केस, 3 पाइंट में समझिए...
बिभव पर AAP की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से 13 मई को सीएम आवास पर मारपीट का आरोप है। स्वाति मालीवाल से मारपीट मामले में दिल्ली पुलिस ने 16 मई को FIR दर्ज की थी।
स्वाति ने दावा किया था कि वो केजरीवाल से मिलने उनके आवास गई थीं। वहां बिभव ने उन्हें सीएम से मिलने से रोका और मारपीट की। बिभव ने उन्हें 7-8 थप्पड़ मारे। पेट और प्राइवेट पार्ट पर लात मारी। इससे उनके शर्ट के बटन टूट गए।
मालीवाल के मुताबिक, उनके कपड़े खुल गए थे, लेकिन बिभव ने मारना नहीं छोड़ा। बिभव ने उनका सिर भी टेबल पर पटक दिया। केजरीवाल घर पर थे, लेकिन फिर भी कोई मदद के लिए नहीं आया।
ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान रो पड़ी थीं स्वाति
बिभव कुमार ने 25 मई को ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई थी, जिस पर 27 मई को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान स्वाति भी कोर्ट में मौजूद थीं। बिभव के वकील हरिहरन ने सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि जब सेंसिटिव बॉडी पार्ट्स पर चोट के निशान नहीं मिले तो गैर इरादतन हत्या की कोशिश का सवाल ही नहीं है। न ही बिभव का स्वाति को निर्वस्त्र करने का कोई इरादा था। ये चोटें खुद को पहुंचाई जा सकती हैं।
बिभव के वकील ने यह भी कहा कि पुराने जमाने में ऐसे आरोप कौरवों पर लगे थे, जिन्होंने द्रौपदी का चीरहरण किया था। स्वाति ने यह FIR पूरी प्लानिंग करके 3 दिन बाद दर्ज कराई है। ये दलीलें सुनकर स्वाति कोर्ट रूम में ही रो पड़ीं।
बिभव सरकारी कर्मचारी के साथ मारपीट के मामले में बर्खास्त हुए
मार्च 2024 में बिभव को CM के पर्सनल सेक्रेटरी के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। स्पेशल सेक्रेटरी विजिलेंस वाईवीवीजे राजशेखर ने आदेश जारी कर कहा था कि बिभव की सेवाएं तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई हैं। उनकी नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया गया। इसलिए ये नियुक्ति अवैध और शून्य करार दी जाती है। राजशेखर ने ये आदेश 2007 के एक मामले के आधार पर दिया।
दरअसल, 2007 में बिभव पर एक सरकारी अधिकारी के साथ कथित तौर पर मारपीट का आरोप लगा था। नोएडा विकास प्राधिकरण में तैनात महेश पाल ने बिभव पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता (एक पब्लिक सर्वेंट) को उसकी ड्यूटी करने से रोका, उसे गाली और धमकी दी। महेश ने 25 जनवरी 2007 को नोएडा सेक्टर-20 के पुलिस थाने में इसकी शिकायत दर्ज करवाई थी। इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से भी एक्शन लिया गया था।