भोपाल । प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों की तरफ से कर्मचारी आयोग के गठन को लेकर एक पत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम लिखा गया है। प्रदेश के कर्मचारियों का एक बड़ा तबका कर्मचारी आयोग के गठन के पक्ष में है। राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने पत्र में कहा है कि कर्मचारी कल्याण समिति को कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसका असर कर्मचारियों पर पड़ता है। मांगों के संबंध में ठोस चर्चा और उस पर अमल नहीं होता है। पूर्व में कर्मचारी कल्याण समिति के अनुभव ठीक नहीं रहे हैं।
कर्मचारी आयोग का गठन किया जाए। अपाक्स मध्य प्रदेश के अध्यक्ष भुवनेश कुमार पटेल ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने आयोग का गठन किया था। आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों ने बारीबारी से कर्मचारी संगठनों को बुलाकर उनकी बिंदूवार समस्याएं सुनी थीं। निराकरण के प्रयास किए जाने लगे थे, लेकिन सरकार बदलते ही आयोग को भी शिथिल कर दिया गया। उधर प्रदेश भर की आशा व आशा सहयोगिनी ने आरोप लगाया है कि उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बेरोजगार बना दिया है। उन्हें काम के बदले नाममात्र की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
कम राशि से परिवार का गुजर-बसर नहीं हो रहा है। संघ की अध्यक्ष लक्ष्मी कौरव ने राज्य सरकार से उचित वेतन व सुविधा देने की मांग की है। वहीं राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिला है। इस बात से वे नाराज हैं। कर्मचारी नेता अनिल बाजपेयी, अरुण वर्मा और श्याम सुंदर शर्मा ने निगम द्वारा जल्द भुगतान नहीं करने पर पुतला जलाने की चेतावनी दी है। इधर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (आरएईओ) संघ ने रविकांत वर्मा समेत अन्य पर की गई निलंबन की कार्रवाई पर असंतोष जताया था।
अध्यक्ष मनोहर गिरि ने बताया कि वर्मा समेत अन्य को उर्वरक बीज एवं कीटनाशी निरीक्षक के साथ पदीय कार्य में लापरवाही पर निलंबित किया था। जबकि प्रदेश भर में किसी भी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी इसके लिए जवाबदेह नहीं है। विरोध के बाद कलेक्टर इंदौर ने निलंबन की कार्रवाई वापस लेते हुए आदेश निरस्त कर दिया है। संघर्ष की शपथ ली कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडेय के नेतृत्व में दर्जनों कर्मचारियों नेविश्व मानव अधिकार दिवस पर कर्मचारियों को उनका अधिकार दिलाने की शपथ ली, जिसमें स्थायीकर्मियों, संविदा कर्मियों को नियमित कराना, पदोन्नति, क्रमोन्नति का लाभ दिलाना, वेतन विसंगति को दूर कराना, नई पेंशन योजना बंद कर पुरानी पेंशन चालू कराना आदि मांगों को प्रमुखता से शामिल किया गया।