भोपाल। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि माँ रतनगढ़ वृहद सिंचाई परियोजना के कार्यों में गति लाई जाए। परियोजना को वन विभाग की अनुमति मिल गई है। परियोजना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। मंत्री श्री सिलावट आज विभागीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि माँ रतनगढ़ बहुउद्देशीय परियोजना से प्रदेश के तीन जिले ग्वालियर, भिंड एवं दतिया में वर्षों पुरानी सिंचाई की समस्या का समाधान होगा। परियोजना दतिया जिले की सेवढ़ा तहसील में सिंध नदी पर बनाई जा रही है। परियोजना पर मध्य प्रदेश सरकार 2244.97 करोड़ रूपये खर्च कर रही है। इससे करीब 59 हजार किसान लाभांवित होंगे और 9 मेगावॉट विद्युत का उत्पादन भी किया जाएगा।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि कार्य में लेटलतीफी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। निर्माणाधीन कार्य में जहाँ भी बाधा आ रही है उसकी जानकारी उन्हें दी जाए, जिससे समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।
- परियोजना से प्रभावित लोगों का जल्द होगा पुनर्वास
परियोजना में डूब से प्रभावित होने वाले 5 गांवों का सर्वेक्षण कर पुनर्वास और पुनर्स्थापन की कार्य-योजना तैयार की जा चुकी है। साथ ही डूब से आंशिक रूप से प्रभावित होने वाले 16 गाँवों में भू-अर्जन के लिए धारा-19 की कार्यवाही पूर्ण कर अवार्ड स्वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही नहर निर्माण के लिए वन भूमि के अधिग्रहण और वैकल्पिक राजस्व भूमि के पुनर्निर्धारण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
- माँ रतनगढ़ बहुउद्देशीय परियोजना
परियोजना से प्रदेश के ग्वालियर, दतिया और भिंड जिले के कुल 162 ग्रामों की 74 हजार 484 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करने की योजना है। परियोजना सेंवढ़ा से 5 किलोमीटर दूर डांग डिरोली में क्रियान्वित होगी। इस परियोजना में सेंवढ़ा में 6500 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी। साथ ही भिंड जिले की 49 हजार 200 हेक्टेयर और ग्वालियर जिले की 22 हजार 784 हेक्टेयर कृषि भूमि को सूखे की समस्या से निजात मिलेगी। जल संसाधन विभाग ने 26 जून 2018 को परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की थी।
परियोजना के निर्माण कार्य
परियोजना में बांध और सूक्ष्म दाब युक्त नहर निर्माण का कार्य सम्मिलित है।
बांध की कुल जल भराव क्षमता 246.95 एम.सी.एम. होगी।
परियोजना में बांध और नहर निर्माण के लिए अलग-अलग अनुबंध किए गए हैं।
बांध निर्माण का अनुबंध एल. एण्ड टी. के साथ किया गया है, जिसकी कुल लागत 370 करोड़ रुपये है।