पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा-नेतृत्व वाली NDA सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी क्योंकि यह सरकार स्थिर नहीं है। जब उनसे ऐसा कहने की वजह पूछी गई, तो उन्होंने कहा कि खेला शुरू हो गया है। यह जारी रहेगा।
ममता ने यह बात शुक्रवार को मुंबई में उद्धव ठाकरे से उनके आवास मातोश्री में मुलाकात के दौरान कही। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वे ठाकरे के लिए प्रचार करेंगीं। शिवसेना (UBT) और तृणमूल कांग्रेस INDIA ब्लॉक में साझेदार हैं। यह लोकसभा चुनावों के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक थी।
बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की शादी में शामिल होने मुंबई पहुंचीं ममता ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) के अध्यक्ष शरद पवार से भी मुलाकात की। ये मुलाकात दक्षिण मुंबई स्थित पवार के निवास 'सिल्वर ओक' पर हुई।
ठाकरे बोले- ये राजनीतिक नहीं, पारिवारिक मुलाकात
हालांकि ठाकरे ने ममता के साथ बैठक को राजनीतिक की बजाय पारिवारिक मुलाकात बताया। ठाकरे ने पत्रकारों से कहा, हमारे बीच भाई-बहन का रिश्ता है। वह पहले भी मेरे घर आ चुकी हैं। यह एक पारिवारिक मुलाकात थी। कृपया इसे राजनीति से न जोड़ें। अगर मुझे कुछ कहना है, तो मैं खुलकर कहता हूं। मुझे डर नहीं है।
ममता बोलीं- उद्धव से शिवसेना नाम और प्रतीक चिह्न लेना अनैतिक था
ममता ने यह भी कहा कि शिंदे गुट द्वारा ठाकरे गुट से शिवसेना नाम और प्रतीक लेना पूरी तरह से अनैतिक था, लेकिन पार्टी ने बाघ की तरह लड़ाई लड़ी। दरअसल, शिवसेना जून 2022 में विभाजित हुई थी और पार्टी का नाम और 'धनुष और तीर' प्रतीक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को दे दिया गया।
ममता ने कहा- हम आपातकाल का समर्थन नहीं करते
बनर्जी ने 25 जून को आपातकाल की घोषणा के दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की केंद्र की घोषणा पर भाजपा पर हमला किया। उन्होंने कहा, हम आपातकाल का समर्थन नहीं करते... (लेकिन) सुधार अपने घर से शुरू होता है।
ममता ने कहा कि मोदी के कार्यकाल में सबसे ज्यादा आपातकाल लगाया जा रहा है। वे भारतीय दंड संहिता (IPC) को बदलकर भारतीय न्याय संहिता (BNS) लाए हैं। कोई यह समझ नहीं पाएगा कि उन्होंने क्या बदला है। सभी डरे हुए हैं।
केंद्र सरकार ने 25 जून 'संविधान हत्या दिवस' घोषित किया
केंद्र सरकार ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' घोषित कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार 12 जुलाई को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी किया है।
शाह ने लिखा, '25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया।'
पीएम ने इसे काला दौर बताया, कांग्रेस बोली- एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, '25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि उस दिन क्या हुआ था और भारत के संविधान को कैसे कुचला गया था। ये भारत के इतिहास में कांग्रेस द्वारा लाया गया एक काला दौर था।'
उधर, कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'यह नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद है, जिसने दस साल तक अघोषित आपातकाल लगाया था। उसके बाद भारत के लोगों ने उसे 4 जून, 2024 को एक निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार दी- जिसे इतिहास में मोदी मुक्ति दिवस के रूप में जाना जाएगा।'
आखिर भाजपा को ऐसा कदम उठाने की जरूरत क्यों पड़ी
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भाजपा ने 400 पार का नारा दिया था। इसके बाद भाजपा के कई नेताओं ने कहा था कि 400 सीटें इसलिए चाहिए, क्योंकि संविधान बदलना है। इनमें BJP नेता अंनत हेगड़े, लल्लू सिंह और अरुण गोविल शामिल थे। इसके बाद विपक्ष ने मुद्दा बनाते हुए कहा था कि अगर भाजपा सरकार में आई तो संविधान बदल देगी। इसके बाद PM मोदी को सफाई देनी पड़ी थी।
मोदी ने अप्रैल 2024 को सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि उन्हें 400 सीटें क्यों चाहिए। पीएम मोदी ने सागर की सभा में कहा था कि कांग्रेस धर्म के आधार पर आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस ने कर्नाटक में धर्म के आधार पर आरक्षण दे दिया। वह यही फॉर्मूला पूरे देश में लागू करना चाहती है। दलित, आदिवासी, ओबीसी के आरक्षण चोरी करने का बंद करने के लिए मोदी को 400 पार चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे दलित, आदिवासी और ओबीसी के आरक्षण की रक्षा करनी है।
इसके बाद विपक्ष ने भाजपा पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया। कहा कि अगर भाजपा सरकार में आई तो वह संविधान बदल देगी। जानकार कहते हैं कि इससे भाजपा को महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में नुकसान हुआ। विपक्ष ने हाल के संसद सत्र में संविधान को लेकर हर दिन प्रदर्शन किया। संविधान बचाओं का नारा दिया। राहुल, अखिलेश समेत विपक्ष के ज्यादातर सांसदों ने संविधान की कॉपी को लेकर शपथ ली।
एक्सपर्ट बोले- दिवस घोषित कर देने से कोई फायदा नहीं होने वाला
पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक, चुनाव से पहले संविधान को लेकर जिस तरह की लामबंदी हुई, उससे विपक्ष को फायदा हुआ है। विपक्ष ने इस बात को प्रचारित किया कि सरकार 400 सीटें लाकर संविधान और आरक्षण से छेड़छाड़ करने जा रही है। इससे बीजेपी थोड़ी असहज हो गई। उसी को काउंटर करने के लिए सरकार ने संविधान हत्या दिवस का ऐलान कर दिया। ताकि ऐसी पार्टियां और नेता, जो कभी इमरजेंसी की ज्यादतियों का शिकार हुए, वो कांग्रेस का साथ देने में असहज हो जाएं।
किदवई कहते हैं कि आपातकाल बुरा था, तो संविधान से आपातकाल के प्रावधान को ही निकाल देना चाहिए। सिर्फ दिवस घोषित कर देने से कोई फायदा नहीं होने वाला। संविधान की मंशा के खिलाफ तो आज भी तमाम काम हो रहे हैं।