नई दिल्ली । केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोप पर तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना आठ साल पहले शुरू की गई थी, जब कांग्रेस केंद्र और राज्य दोनों ही जगहों पर सत्ता में थी। रेड्डी ने कहा, “स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी एक निजी आध्यात्मिक इकाई की एक परियोजना है, जिसकी कल्पना 8 साल पहले की गई थी। उस समय केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस सत्ता में थी। प्रतिमा के लिए 100 प्रतिशत फंड निजी तौर पर जुटाए गए। भारत सरकार ने इसके लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं दी है। यह प्रतिमा पीएम के आत्मानिर्भर भारत के आह्वान से पहले की है। राहुल गांधी ने बुधवार को कहा था कि तेलंगाना में रामानुजाचार्य की 216 फीट की मूर्ति, जिसे स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के रूप में जाना जाता है, चीन में बनी है। राहुल गांधी के आरोप उन रिपोर्टों पर आधारित हैं जिनमें दावा किया गया था कि 5 फरवरी को पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया 135 करोड़ की प्रतिमा चीन के एर्सुन कॉर्पोरेशन द्वारा बनाया गया है। संस्कृति मंत्री ने अपने ट्वीट में वायनाड के संसद राहुल गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि यह “केवल उनकी अपनी अज्ञानता और छिछलेपन को उजागर करता है”। उन्होंने कहा, “तथ्यों को जाने बिना बड़बड़ाते हुए वह खुद को डुबोते रहते हैं और अपनी पार्टी को धूल में मिलाते हैं।” प्रतिमा के इतिहास के बारे में बताते हुए रेड्डी ने कहा कि 12 मई, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान से पहले इसकी कल्पना की गई थी। स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के बारे में राहुल गांधी का दावा कथित तौर पर अगस्त 2015 में एर्सुन कॉर्पोरेशन और भारत के बीच एक अनुबंध पर आधारित है। राहुल गांधी ने जिन रिपोर्टों का हवाला दियाहै, उनमें कहा गया था कि चीन में इसका प्रमुख काम किया गया था और प्रतिमा को 1,600 टुकड़ों में भारत लाया गया था। स्थापना में लगभग 15 महीने लगे। एक भारतीय कंपनी ने भी अनुबंध के लिए बोली लगाया था। इससे राहुल गांधी का चीन को लेकर पीएम मोदी पर हमला मजबूत होता है। संसद में अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि चीनियों की स्पष्ट दृष्टि है कि वे क्या करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने चीन और पाकिस्तान को करीब आने दिया है, जो सबसे बड़ी रणनीतिक गलती रही है।