प्यार कभी उम्र, जात-पात, अमीरी-गरीबी नहीं देखता। ये तो बस हो जाता है। कुछ इसी तर्ज पर है निर्देशक माइकल शोवाल्टर की फिल्म 'द आइडिया ऑफ यू'। रोबिन ली की इसी नाम की किताब 'द आइडिया ऑफ यू' पर आधारित इस फिल्म में एक उम्रदराज औरत और एक कम उम्र लड़के की यूनिक प्रेम कहानी की जटिलताओं और विडंबनाओं को बहुत ही सरलता और रियलस्टिक टेक के साथ दर्शाया गया है। आज के दौर में जब फिल्मों में एक्शन, मार-धाड़, मुद्दे वाली फिल्मों का बोलबाला है, ऐसे में जानी-मानी अभिनेत्री ऐनी हैथवे समाज की धारा के विपरीत बहने वाली इस प्रेम कहानी को अपने दमदार अभिनय से कन्विसिंग बना ले जाती हैं।'द आइडिया ऑफ यू' की कहानी
कहानी है तकरीबन 40 साल की सिंगल मदर सोलेन (ऐनी हैथवे) की। वह एक आर्ट क्यूरेटर है। उसे ऑगस्ट मून कॉन्सर्ट में अपनी 16 साल की बेटी एला रूबिन के साथ कोचेला जाना पड़ता है। वहां वह गलती से एक ऐसी वैनिटी वैन में चली जाती है, जो मशहूर बैंड के जाने -माने 24 साल के रॉक सिंगर हैस कैंपबेल (निकोलस गैलिट्ज़िन) की है। वहां इन दोनों के बीच प्यारे से इंट्रोडक्शन के बाद एक आकर्षण पैदा होता है और उन दोनों को ही पता नहीं चलता कि वो आकर्षण कब फ्लर्टिंग में बदल चुका है। अगले दिन सोलेन हैस को अपनी आर्ट शॉप में पाती है। इस दूसरी मुलाकात में हैंस जब उसे चूमना शुरू करता है, तब सोलेन इस सिलसिले को आगे बढ़ाने से मना कर देती है। वो हैस से कहती है, 'मैं तुम्हारी मां की उम्र की हूं।' हैस जवाब देता है, 'मगर हो तो नहीं।'
इस मुलाकात में सोलेन हैस को बता देती है कि कैसे तीन साल पहले उसके पति ने उससे बेवफाई कर उसे अकेला छोड़ दिया था। बस उसके बाद हैस उसे अपने साथ यूरोप के टूर में आने के लिए मनाता है, जहां दोनों ही एक बेहद कामुक और गुप्त प्रेम संबंध में बंध जाते हैं। सोलेन और हैस दोनों ही बेहद खुश हैं, एक-दूसरे का साथ पाकर। मगर तभी उनकी खुशियों पर किसी की नजर लग जाती है। उन दोनों की रोमांटिक फोटो मीडिया में लीक हो जाती है और सोलेन इंटरनेट पर वायरल। सोलेन की खूब बदनामी होती है। उसे ही नहीं उसकी जवान बेटी को भी ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है। उम्र का इतना लंबा फासला रखने वाली इस प्रेम कहानी का क्या अंजाम होता है, ये आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेगा?
'द आइडिया ऑफ यू' मूवी रिव्यू
निर्देशक माइकल शोवाल्टर एक 40 साल की महिला और 24 साल के युवा रॉक स्टार के वर्जित प्रेम के उत्थान और पतन के विभिन्न पहलुओं को कदम दर कदम समेटते हैं। इस प्रक्रिया में फिल्म का पहला भाग मंथर गति से आगे बढ़ता है। फिल्म का सेकंड हाफ फर्स्ट हाफ की तुलना में ज्यादा मजबूत है। निर्देशक दोनों के बीच के शारीरिक आकर्षण को जिस पैशनेट ढंग से दर्शाते हैं, उन दोनों का भावनात्मक पहलू उतना मजबूत नहीं हो पाता, इसके बावजूद कहानी आपको बांधे रखती है।
फिल्म में निर्देशक अगर बेटी के ट्रैक को और ज्यादा महत्व देते, तो अच्छा होता। कहानी की अच्छी बात ये है कि ये उम्र के अधेड़ पड़ाव में जिम्मेदारियों से घिरी अकेली औरत की जिस्मानी और जज्बाती जरूरतों की बात करती है। फिल्म का क्लाइमैक्स जल्दबाजी में निपटाया हुआ मालूम पड़ता है। इसके बावजूद परीकथा जैसा अंत सुखद लगता है। जिम फ्रोना की सिनेमेटोग्राफी रूमानी दृश्यों में खिलती है। सिद्धार्थ खोसला अगर संगीत में बॉय बैंड के गानों के तौर पर कुछ और जोड़ देते, तो मजा आ जाता।
अभिनय के मामले में ऐनी हैथवे मैदान मार ले जाती हैं। उन्होंने एक सिंगल मॉम के साथ-साथ अपनी इच्छाओं और आकंक्षाओं के बीच झूलती औरत के किरदार को बहुत खूबसूरती से जिया है। उनकी खूबसूरती और सादगी दर्शक को विश्वास दिला देती है कि क्यों एक 24 साल का मशहूर रॉक स्टार उसके प्यार में पड़ सकता है। वहीं, हैस के रूप में निकोलस गैलिट्ज़िन ने उनका अच्छा साथ दिया है। दोनों की केमेस्ट्री पर्दे पर आकर्षक लगी है। बेटी के किरदार में एला रूबिन ने दमदार काम किया है। मां-बेटी के बीच के दृश्य प्यारे हैं। सहयोगी कास्ट ठीक-ठाक है।