अंतिम किस्त के भुगतान के बाद हो जाता है मालिकाना हक
वहीं, अंतिम किस्त के भुगतान के बाद कर्मचारी को मकान का मालिकाना हक दे दिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य शासन के अंशदान के साथ आवंटियों की भागीदारी और हायर परचेस मॉडल, एन्यूटी माडल, निजी आवासीय कॉम्प्लेक्स किराए पर लेने और अन्य प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है।
इन शहरों में होगी शुरुआत
सबसे पहले इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में इस योजना को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। सरकार इसके लिए एक समिति गठित करेगी, यह समिति शासकीय आवास गृहों के निर्माण के लिए वैकल्पिक वित्तीय तथा क्रियान्वयन प्रक्रिया के प्रस्ताव बनाएगी।
पूर्व सीएम शिवराज के समय में भी हुआ था विचार
गौरतलब है किहायर परचेस मॉडल सहित कर्मचारियों को आवासीय सुविधा देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समय विकल्पों पर विचार किया गया था। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान की अध्यक्षता में समिति भी गठित की गई थी। उस समय इस समिति को एक महीने में अपनी अनुशंसाएं सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्तुत करनी थी, लेकिन इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
यह है हायर परचेस सिस्टम और एन्यूटी मॉडल
हायर परचेस सिस्टम (किराया क्रय पद्धति) में एक समझौते या अनुबंध के आधार पर जो खरीददार होता है, वह मकान या भूखंड का मूल्य नकद में न चुकाकर, किस्तों में उसके भुगतान करने का वादा करता हैं। इस प्रक्रिया में मकान क्रेता को सौंप दिया जाता है, लेकिन मकान का स्वामित्व विक्रेता के पास ही रहता है। क्रेता को माल की सुपुर्दगी के साथ ही उसको प्रयोग करने का अधिकार दे दिया जाता हैं।
अंतिम किस्त भुगतान के बाद बनेगा मालिक
वहीं, जब तक क्रेता द्वारा अंतिम किस्त का भुगतान नहीं कर दिया जाता, तब तक क्रेता उस वस्तु का मालिक नहीं हो सकता हैं। यदि क्रेता किस्तों का भुगतान करने में देरी करता है या चूक जाता है या फिर पूरी किस्तों का भुगतान नहीं कर पाता है तो भुगतान की गई किस्तों को जब्त कर लिया जाता है। उसे किराया (हायर चार्ज) शुल्क मान लिया जाता है।