- 2017 में नटराजन को पहली बार सायरस मिस्त्री के स्थान पर टाटा समूह का प्रमुख बनाया गया था
नई दिल्ली । टाटा समूह ने एक बार फिर नटराजन चंद्रशेखरन को प्रमुख नियुक्त किया है।पांच बरस पहले साइरस मिस्त्री के बाद दूसरी पसंद के तौर पर सामने आए चंद्रशेखरन ने इस नियुक्ति से यह दिखा दिया कि वह देश की सबसे बड़ी कंपनी के निर्विवाद मुखिया हैं। पद्म भूषण से सम्मानित चंद्रशेखरन को फोटोग्राफी का शौक है और वह संगीत सुनना भी पसंद करते हैं। उनके व्यक्तित्व का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि वह लंबी दूरी के धावक हैं। उन्होंने दुनियाभर में बहुत सी मैराथन में हिस्सा लिया है और घंटों तक मीलों दौड़ते रहने के दौरान वह मानसिक रूप से इतना मजबूत हो गए कि अपनी जिंदगी की मैराथन में भी कदम दर कदम मंजिल की तरफ बढ़ते रहे और विजेता बनकर उभरे। उन्होंने रनर्स वर्ल्ड नाम से एक किताब भी लिखी है। वह पिछले 35 बरस से टाटा समूह से जुड़े हैं। 2017 में उन्हें पहली बार सायरस मिस्त्री के स्थान पर टाटा समूह का प्रमुख बनाया गया था। मिस्त्री ने उनकी नियुक्ति को अदालत में चुनौती दी थी और एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2020 में उच्चतम न्यायालय ने चंद्रशेखरन की नियुक्ति को सही ठहराकर एक बड़े कॉरपोरेट विवाद का अंत किया।
नटराजन का जन्म दो जून 1963 को तमिलनाडु में नमक्कल जिले के मोहानूर गांव में हुआ था। गांव के सरकारी स्कूल में वह अपने बड़े भाइयों के साथ पढ़ने जाया करते थे। उनकी शुरुआती शिक्षा तमिल माध्यम से हुई। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कोयंबटूर के इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक और रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज तिरुचिरापल्ली से कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर्स यानी एमसीए की पढ़ाई की। उन्होंने आईआईएम कोलकाता से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है। 1986 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के एक साल बाद चंद्रशेखर टाटा समूह में एक इन्टर्न के तौर पर भर्ती हुए और समय के साथ विभिन्न जिम्मेदारियां संभालते हुए समूह के शीर्ष तक पहुंचे। दूसरे कार्यकाल के लिए रतन टाटा ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा और बोर्ड के सभी सदस्यों ने उनके नाम पर एकमत सहमति जताई। नटराजन चंद्रशेखरन का पहला कार्यकाल फरवरी में ही समाप्त हो रहा था। दूसरी बार उनका चुना जाना लगभग तय था तथा इसीलिए किसी और नाम को लेकर कयास भी नहीं लगाए जा रहे थे।