नई दिल्ली। बिहार में प्रति हजार पुरुषों पर बेटियों (महिलाओं) की आबादी 1090 हो गयी है। बिहार ने राज्य सरकार द्वारा संचालित महिला सशक्तीकरण योजनाओं सहित विभिन्न योजनाओं के लगातार जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के कारण लिंगानुपात (प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) में विकसित व पड़ोसी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। बिहार में बालिकाओं के जन्म, शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा सहित विविध विषयों को लेकर कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के आंकड़ों के अनुसार विकसित राज्यों महाराष्ट्र में प्रति हजार पुरुषों पर 966, गुजरात में 965, आंध्रप्रदेश में 1045, गोवा में 1027, तेलंगाना में 1049, तमिलनाडु में 1088 है, जो बिहार से कम है।
वहीं, पड़ोसी राज्यों में उत्तरप्रदेश में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1017, झारखंड में 1050, पश्चिम बंगाल में 1049, मध्यप्रदेश में 970 व ओडिशा में 1063 है। हालांकि, लक्ष्यद्वीप में प्रति हजार पुरुषों पर 1187, केरल में 1121 व पुडुचेरी में 1112 महिलाएं हैं। बिहार में राज्य सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं ने महिलाओं की संख्या बढ़ाने में व्यापक प्रभाव डाला है। भ्रूण जांच पर सख्ती बरते जाने के कारण गर्भस्थ शिशु के लिंग का निर्धारण कर पाना मुश्किल हो गया है। वहीं, कन्या विवाह योजना के कारण बालिका शिशु के विवाह को लेकर बड़ी बाधाएं दूर हो गयी हैं। इसके तहत बीपीएल परिवार की दो कन्याओं को आर्थिक सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत इंटर उत्तीर्ण अविवाहित छात्राओं को 25 हजार रुपये और स्नातक की सभी छात्राओं को 50 हजार रुपये भुगतान किया जा रहा है।
वहीं, विद्यालयों में छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने व शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने को लेकर बालिका पोशाक योजना, बालिका साइकिल योजना, सेनेटरी नैपकीन वितरण योजना लागू की गयी है। इसके साथ ही, राज्य के हरेक पंचायत में छात्राओं की शिक्षा के लिए प्लस टू (इंटर स्तरीय) विद्यालयों की स्थापना की गयी है। महिलाओं में नेतृत्वक्षमता के विकास और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए पंचायत व नगर निकाय में 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है। वहीं, राज्य में सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण महिलाओं को दिया गया है। महिला सुरक्षा को लेकर विशेष महिला पुलिस बल, महिला बटालियन का गठन किया गया है।