नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में भले ही सरकार और विपक्ष में टकराव चल रहा हो, लेकिन लोकसभा पटरी पर लौट आई है। बुधवार को सदन में एक विधेयक को मंजूरी दी गई और गुरुवार को भी विपक्ष की कोरोना पर लंबी चर्चा चली। इस बीच शून्यकाल में नई परिपाटी के रूप में सरकार ने सांसदों के मुद्दों पर जबाब भी दिए हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी दलों के साथ अलग-अलग व एक साथ चर्चा कर एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया है, जिसका असर लोकसभा में दिखने लगा है। लोकसभा अध्यक्ष के प्रयासों से सरकार के विधेयक व विपक्ष की चर्चाओं पर व्यापक बहस भी हुई है। बुधवार को लोकसभा में कृत्रिम तकनीक प्रजनन विधेयक को व्यापक चर्चा के बाद पारित किया गया। इसमें 129 सांसदों ने चर्चा में हिस्सा लिया और इस दिन सदन की उत्पादकता 117 फीसदी रही। गुरुवार को सदन में देर रात तक कोरोना को लेकर चर्चा हुई। इस बीच
शून्यकाल में भी बड़ी संख्या में सांसदों ने हिस्सा लिया। 109 सांसदों ने शून्यकाल में अविलंबनीय महत्व के मुद्दे उठाए। खास बात यह रही कि इस बार मंत्री इन मुद्दों पर जबाब भी दे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सकारात्मक सोच के कारण हुआ है। मोदी का मानना है कि शून्यकाल में भी सरकार को जरूरी मुद्दों पर जबाब देना चाहिए।
लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि पंजाब, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने से केंद्र का हस्तक्षेप बढ़ा है। उन्होंने कहा कि केंद्र को राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस विषय पर चर्चा की मांग की। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के कई अन्य सदस्यों ने भी इस पर सहमति जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष से सदन में चर्चा की मांग की। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने अधीर रंजन चौधरी की तरफ देखते हुए नोटिस देने को कहा। उन्होंने कहा कि सदस्य इस विषय पर चर्चा के लिए नोटिस देते हैं तो वह व्यवस्था देंगे।