नई दिल्ली । कोरोना के बदले स्वरूप ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की सुनामी आ सकती है। इस वैरिएंट का खतरा हर उम्र के लोगों को है लेकिन बच्चों पर इसका असर चिंता बढ़ाने वाला है।
अमेरिका में बच्चे तेजी से ओमिक्रॉन की चपेट में आ रहे हैं। अस्पतालों के बाल चिकित्सा विभाग पूरी तरह भर चुके हैं। बच्चों की हालत देख कर एक्सपर्ट्स चिंतित हैं और बच्चों का वैक्सीनेशन बढ़ाने की जरूरत बता रहे हैं।
अस्पतालों में बढ़ रही है बच्चों की संख्या- अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, 23 दिसंबर वाले हफ्ते में लगभग 199,000 बच्चों के कोरोना से संक्रमित होने की सूचना मिली थी, जो महीने के शुरूआती आंकड़ों से 50 प्रतिशत ज्यादा है।
वहीं, 28 दिसंबर वाले हफ्ते में 0-17 उम्र के लोगों के अस्पताल मे भर्ती होने की संख्या लगभग 378 थी, जो पहले सप्ताह से 66.1 फीसदी ज्यादा थी। इससे पहले ये संख्या डेल्टा की लहर में 1 सिंतबर को देखी गई थी। इसके बाद अस्पताल में ज्यादा भर्ती होने वालों में 18-29 साल के उम्र के लोग हैं। हालांकि, बुजुर्गों की तुलना में इनमें गंभीर बीमारी का खतरा कम है।
टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल के पैथोलॉजिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट जिम वर्सालोविक ने बताया, 'मुझे लगता है कि इस समय ये बस एक नंबर गेम है। हमें अब तक जो समझ आया है उसके आधार पर हम ये कह सकते हैं कि ओमिक्रॉन अधिक गंभीर संक्रमण नहीं कर रहा है लेकिन ये बच्चों को ज्यादा संक्रमित कर रहा है।
यही वजह है कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है। हालांकि बच्चों में भी बड़ों की तरह ओमिक्रॉन से हल्की बीमारी ही देखने को मिल रही है।'
न्यूयॉर्क में नॉर्थवेल हेल्थ हॉस्पिटल सिस्टम के बाल रोग विशेषज्ञ हेनरी बर्नस्टीन का कहना है, 'भले ही गंभीर रूप से बीमार हो रहे बच्चों का प्रतिशत कम हो, लेकिन बड़ी संख्या का छोटा प्रतिशत भी बहुत बड़ी संख्या होती है। बुजुर्गों की तुलना में कम उम्र के लोग ज्यादा संक्रमित और अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इसकी बड़ी वजह ये है कि यहां 5-11 साल के बच्चों की वैक्सीनेशन दर बहुत धीमी है।'
वैक्सीन ही बचाव है- विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन लेने में समय की बर्बादी बिल्कुल नहीं करनी चाहिए और ये बात हर किसी पर लागू होती है। डॉक्टर्स का कहना है कि अभी अस्पतालों में जिनकी हालत गंभीर हो रही है उनमें से अधिकतर वही हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है। भारत में भी 3 जनवरी से 15 से 18 साल की उम्र के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। वहीं 2-15 साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल जारी है। भारत बायोटेक के अनुसार दूसरे और तीसरे चरण की स्टडी में उनकी कोरोना वैक्सीन बीबीवी152 (कोवैक्सीन) कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित और इम्युनोजेनिक पाई गई है