जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में भारत-पाक बॉर्डर पर BSF के जवानों ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया है। सेना के अधिकारियों ने गुरुवार (1 अगस्त) को बताया कि घुसपैठिए को बुधवार रात 11 बजे खोरा पोस्ट के पास भारतीय इलाके में घुसते देखा गया।
BSF जवानों की चेतावनी के बाद भी घुसपैठिया नहीं रुका, जिसके बाद फायरिंग में वह मारा गया। सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि घुसपैठिया भारत-पाक सीमा की जीरो लाइन पार कर रहा था जो बॉर्डर प्रोटोकॉल का उल्लंघन था। घुसपैठिए की पहचान और मकसद का पता नहीं चल पाया है। अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।
राजौरी जिले के कालाकोट इलाके में पुलिस और सेना ने एक जॉइंट ऑपरेशन में एक आतंकी ठिकाने का पता किया है। रातभर चले सर्च ऑपरेशन में एक AK राइफल और अन्य हथियार बरामद किए हैं।
पुंछ में हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी गिरफ्तार
राष्ट्रीय राइफल की रोमियो फोर्स ने मंगलवार (30 जुलाई) को पुंछ जिले में हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी को गिरफ्तार किया। आतंकी के पास एक विदेशी पिस्तौल भी मिली है। पाकिस्तान में एक्टिव एक व्हाट्सएप नंबर का भी पता लगा है, जिसके जरिए एक हैंडलर मोहम्मद खलील को काम सौंप रहा था। आरोपी पुलिस की हिरासत में है और आगे की जांच की जा रही है।
3 दिन पहले कुपवाड़ा में मारा गया था पाकिस्तानी आतंकी
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शनिवार (27 जुलाई) को माछिल सेक्टर के पास जंगल एरिया में एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया था। एनकाउंटर में राइफलमैन मोहित राठौर शहीद और मेजर समेत 4 जवान घायल हो गए। न्यूज एजेंसी ANI ने रक्षा विभाग के सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) आतंकियों की घुसपैठ करा रही थी। BAT के साथ SSG कमांडो और पाकिस्तानी सेना के सैनिक आतंकवादी संगठनों के साथ आतंकियों को कश्मीर भेज रहे थे।
जम्मू में जैश और लश्कर का 20 साल पुराना नेटवर्क एक्टिव
जम्मू रीजन में सेना ने 20 साल पहले पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जिस लोकल नेटवर्क को सख्ती से निष्क्रिय कर दिया था, वो पूरी ताकत से फिर एक्टिव हो गया है। पहले ये लोग आतंकियों का सामान ढोने का काम करते थे, अब उन्हें गांवों में ही हथियार, गोला बारूद और खाना-पीना दे रहे हैं।
बीते दिनों जिन 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, उन्होंने पूछताछ में इसके सुराग दिए हैं। यह नेटवर्क जम्मू के 10 में से नौ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन में जम चुका है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP एसपी वैद्य के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया था। उसने दो साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया।
2020 में जम्मू से सेना हटाकर लद्दाख भेजी गई, यही आतंकियों के लिए मौका बना
2020 तक जम्मू रीजन में काफी सुरक्षा बल तैनात था। हालांकि, गलवान एपिसोड के बाद चीनी आक्रामकता का जवाब देने के लिए यहां की सेना को हटाकर लद्दाख भेज दिया गया। आतंकियों ने भारत के इस कदम को मौके के रूप में भुनाया और अपना आधार कश्मीर से जम्मू में शिफ्ट किया।
यहां इनका पुराना लोकल नेटवर्क पहले से ही था, जिसे एक्टिव करना था। वही हुआ है। जम्मू में आतंकी घटनाएं सांप्रदायिक रंग भी ले सकती हैं। यहां कश्मीर के मुकाबले जनसंख्या घनत्व कम है और सड़क संपर्क सीमित है। बड़ा इलाका पहाड़ी है, इसलिए आतंकियों को यहां मार गिराने में समय लग रहा है।