भोपाल । प्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन दोनों शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। इस व्यवस्था की कवायद वर्ष 1981 से चल रही थी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। भौगोलिक और आबादी की दृष्टि से महानगरों का विस्तार हो रहा है, इसलिए कानून व्यवस्था की कुछ नई समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।
इनके समाधान और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए इन दो बड़े महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर रहे हैं ताकि अपराधियों पर और बेहतर नियंत्रण कर सकें। मुख्यमंत्री ने वीडियो संदेश में कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है। पुलिस अच्छा काम कर रही है। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन कुछ नई समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।
इन पर नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के लिए विधेयक लाया जा सकता है। इसके माध्यम से पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रियल पावर दिए जाएंगे ताकि वे कानून व्यवस्था के कार्य को प्रभावी तरीके से संपादित कर सकें।
इसमें पुलिस को धारा 144 लागू करने के लिए कलेक्टर के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।धरना-प्रदर्शन, रैली करने की अनुमति, संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ने, जिला बदर की कार्रवाई, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई सहित अन्य अधिकार भी दिए जा सकते हैं। उधर, अब तक पुलिस कमिश्नर प्रणाली का विरोध करते आ रहे आइएएस आफिसर एसोसिएशन ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।
इसके पदाधिकारियों का कहना है कि अभी इसका स्वरूप सामने नहीं आया है। जब यह सामने आएगा, तब विचार किया जाएगा। तीन जून 1981 को कैबिनेट में पांच लाख से ज्यादा की आबादी वाले चार शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी पर क्रियान्वयन नहीं हुआ। 27 मार्च 1997 को तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार में वित्त मंत्री रहे स्व. अजय नारायण मुशरान, आरिफ अकील, नंदकुमार पटेल व अजय सिंह की समिति बनाई गई थी।
समिति ने दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, अमरावती सहित शहरों का दौरा भी किया था पर कोई फैसला नहीं हो सका। वर्ष 2000 में दिग्विजय सरकार के दूसरे कार्यकाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर फिर मंथन हुआ। पुलिस कमिश्नर प्रणाली का विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया गया।
विधानसभा से पारित होने के बाद इसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया लेकिन तत्कालीन राज्यपाल स्व. डा. भाई महावीर ने इस पर स्वीकृति नहीं दी। इस बीच दिग्विजय सरकार भी चली गई। वर्ष 2018 में राजस्व विभाग ने कमिश्नर प्रणाली को लेकर प्रस्ताव भी तैयार किया पर इसे कैबिनेट में प्रस्तुत नहीं किया गया था। हालांकि, अधिसूचना जारी करने की तैयारी कर ली गई थी। इस बारे में गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि भोपाल और इंदौर में आबादी, क्षेत्र और संभावनाएं बढ़ रही हैं। इन शहरों में कानून व्यवस्था की स्थिति सुव्यवस्थित रहे, इसलिए आवश्यक है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो। मुख्यमंत्री ने इसको लेकर निर्णय लिया है, जिसका स्वागत है।