भोपाल । प्रदेश के राजगढ जिले में एक अनूठा मामला प्रकाश में आया है। यहां पोलियो से बचाव के लिए दी गई दवा से ही युवक को पोलियो हो गया था। इस घटना के पच्चीस साल बाद युवक को न्याय मिला है। युवक को हर्जाना के रुप में 48 लाख रुपया मिला है। परिजनों ने मामले को न्यायालय में लगा दिया। 25 साल की लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हर्जाना दिलवाया है। राजगढ़ जिले में पचोर के समीपस्थ ग्राम ओढ़पुर के देवीलाल पिता भगीरथ को 25 साल पहले 1996 में करीब ढाई वर्ष की आयु में पोलियोरोधी दवा पिलाई गई थी।
पोलियो से बचाने के लिए जिस समय दवा पिलाई गई, उस समय वह स्वस्थ था, लेकिन बाद में उसे पोलियो हो गया। पिता भगीरथ ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग में करते हुए क्षतिपूर्ति देने की मांग की थी। जब सुनवाई नहीं हुई तो प्रशासन से लिखित शिकायत कर हर्जाना देने की मांग की। वहां से भी राहत नहीं मिली तो पीड़ित ने जिला न्यायालय की शरण ली। यह मामला जिला न्यायालय से हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतत: पीड़ित को ब्याज सहित 48 लाख रुपये का हर्जाना देने के आदेश दिए थे।
परिजन को शासन की ओर से 48 लाख की क्षतिपूर्ति मिल गई है। पहले किसी दवा से नुकसान होने पर क्षतिपूर्ति देने के नियम थे। ऐसे में तत्कालीन समय पीड़ित के परिजनों ने 25 हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने की मांग की थी, लेकिन शासन ने इसको अपनी गलती नहीं मानी व राशि देने से इंकार कर दिया। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
इ इस बारे में हाई कोर्ट के वकील समीर सक्सेना का कहना है कि देवीलाल के परिवारीजन ने पहले क्षतिपूर्ति के लिए 25 हजार की मांग की थी, लेकिन राशि नहीं दी गई। फिर जिला न्यायालय ने चार लाख देने को कहा। इसके बाद हाई कोर्ट ने 44 लाख देने के निर्देश दिए थे। शासन इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय को यथावत रखते हुए ब्याज समेत 48 लाख रुपये देने के निर्देश दिए थे। पीड़ित को राशि मिल गई है।