पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि नाबालिग आरोपी के पिता ने बेटे की शराब पीने की बात छिपाने के लिए ब्लड सैंपल बदलवाया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके लिए पिता विशाल अग्रवाल ने सरकारी अस्पताल के कर्मचारी को 3 लाख रुपए दिए थे। उसने फोरेंसिक हेड डॉ. अजय तावरे और डॉ. श्रीहरि हैलनोर तक ये रकम पहुंचाई थी।
पिता विशाल अग्रवाल ने डॉ. अजय तावरे से इसके लिए फोन पर बात भी की थी। हैलनोर ने पुलिस के सामने कबूला कि डॉ. तावरे के कहने पर ही उसने ओरिजनल ब्लड सैंपल डस्टबिन में फेंका था।
इसके बाद उसने किसी अन्य शख्स के ब्लड सैंपल से रिपोर्ट बनाई, जिससे नाबालिग के नशे में होने की बात छिपाई जा सके। दोनों डॉक्टर और कर्मचारी अतुल घटकांबले को गिरफ्तार कर लिया गया है।
ब्लड सैंपल के हेरफेर को लेकर कमेटी गठित
मामले में जांच के लिए सोमवार रात 3 मेंबर की कमेटी भी गठित की गई है। महाराष्ट्र मेडिकल एजुकेशन के कमिश्नर राजीव निवतकर ने कमेटी के गठन का आदेश जारी करने के बाद ससून अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया।
कमेटी में जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की डीन डॉ. पल्लवी सपले, ग्रांट मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. गजानन चव्हाण, छत्रपति संभाजी नगर सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर डॉ. सुधीर चौधरी शामिल हैं। डॉ. पल्लवी सपले कमेटी की चेयरपर्सन हैं।
ब्लड सैंपल से हेरफेर की बात पुलिस को कैसे पता चली?
पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि घटना के बाद हमने नाबालिग के ऐल्कोहॉल ब्लड टेस्ट 2 अलग-अलग अस्पताल में कराए थे। ससून अस्पताल में कराई गई जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई थी, लेकिन दूसरे अस्पताल से मिली रिपोर्ट से उसके नशे में होने की पुष्टि हुई थी। पब के CCTV में भी वह शराब पीते दिखा था।
दूसरे अस्पताल से रिपोर्ट आने के बाद हमें ससून अस्पताल की रिपोर्ट पर शक हुआ था। पूछताछ करने पर डॉक्टर हैलनोर ने सैंपल बदलने की बात को स्वीकार किया। सबूत के लिए नाबालिग आरोपी के हॉस्पिटल के और हॉस्पिटल के आस-पास लगे 150 कैमरों के फुटेज खंगाले गए। उस शख्स की भी तलाश जारी है, जिसके सैंपल से झूठी रिपोर्ट बनाई गई थी।
क्या है पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस?
18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के आरोपी ने लग्जरी पोर्श कार से बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। हादसे में IT सेक्टर में काम करने वाले 24 साल के अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौके पर ही मौत हो गई। तब कार 200 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही थी।
आरोपी नाबालिग के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने 23 मई को दावा किया था कि घटना के वक्त कार उनका फैमिली ड्राइवर चला रहा था। आरोपी के पिता विशाल ने भी यही बात कही थी। पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने भी पहले खुद गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की थी।
हालांकि क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने बताया कि ड्राइवर को फंसाने की साजिश नाबालिग के पिता और दादा ने साथ में रची थी। ड्राइवर की शिकायत पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ IPC की धारा 365 (गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अपहरण करना) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या कैद में रखना) के तहत मामला दर्ज किया था।
पिता विशाल अग्रवाल को पुलिस ने बेटे को बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने की अनुमति देने के आरोप में 21 मई को गिरफ्तार किया था। उस पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बच्चे पर ध्यान न देने का मामला दर्ज हुआ था। वह 7 जून तक न्यायिक हिरासत में है। हालांकि, ड्राइवर के किडनैपिंग केस में पुलिस ने विशाल की कस्टडी अपने पास लेने के लिए कोर्ट से इजाजत अलग से ली है।
ब्लड सैंपल के हेरफेर को लेकर कमेटी गठित
मामले में जांच के लिए सोमवार रात 3 मेंबर की कमेटी भी गठित की गई है। महाराष्ट्र मेडिकल एजुकेशन के कमिश्नर राजीव निवतकर ने कमेटी के गठन का आदेश जारी करने के बाद ससून अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया।
कमेटी में जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की डीन डॉ. पल्लवी सपले, ग्रांट मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. गजानन चव्हाण, छत्रपति संभाजी नगर सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर डॉ. सुधीर चौधरी शामिल हैं। डॉ. पल्लवी सपले कमेटी की चेयरपर्सन हैं।
ब्लड सैंपल से हेरफेर की बात पुलिस को कैसे पता चली?
पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि घटना के बाद हमने नाबालिग के ऐल्कोहॉल ब्लड टेस्ट 2 अलग-अलग अस्पताल में कराए थे। ससून अस्पताल में कराई गई जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई थी, लेकिन दूसरे अस्पताल से मिली रिपोर्ट से उसके नशे में होने की पुष्टि हुई थी। पब के CCTV में भी वह शराब पीते दिखा था।
दूसरे अस्पताल से रिपोर्ट आने के बाद हमें ससून अस्पताल की रिपोर्ट पर शक हुआ था। पूछताछ करने पर डॉक्टर हैलनोर ने सैंपल बदलने की बात को स्वीकार किया। सबूत के लिए नाबालिग आरोपी के हॉस्पिटल के और हॉस्पिटल के आस-पास लगे 150 कैमरों के फुटेज खंगाले गए। उस शख्स की भी तलाश जारी है, जिसके सैंपल से झूठी रिपोर्ट बनाई गई थी।
क्या है पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस?
18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के आरोपी ने लग्जरी पोर्श कार से बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। हादसे में IT सेक्टर में काम करने वाले 24 साल के अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौके पर ही मौत हो गई। तब कार 200 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही थी।
आरोपी नाबालिग के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने 23 मई को दावा किया था कि घटना के वक्त कार उनका फैमिली ड्राइवर चला रहा था। आरोपी के पिता विशाल ने भी यही बात कही थी। पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने भी पहले खुद गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की थी।
हालांकि क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने बताया कि ड्राइवर को फंसाने की साजिश नाबालिग के पिता और दादा ने साथ में रची थी। ड्राइवर की शिकायत पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ IPC की धारा 365 (गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अपहरण करना) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या कैद में रखना) के तहत मामला दर्ज किया था।
पिता विशाल अग्रवाल को पुलिस ने बेटे को बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने की अनुमति देने के आरोप में 21 मई को गिरफ्तार किया था। उस पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बच्चे पर ध्यान न देने का मामला दर्ज हुआ था। वह 7 जून तक न्यायिक हिरासत में है। हालांकि, ड्राइवर के किडनैपिंग केस में पुलिस ने विशाल की कस्टडी अपने पास लेने के लिए कोर्ट से इजाजत अलग से ली है।